शिमला। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) ने आरोप लगाया है कि
माकपा के राज्य सचिव राकेश सिंघा ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की नवउदारवादी नीतियों से परेशान आम जनता को राहत देने के लिए उक्त दोनों ही बड़े दल कोई भी आर्थिक विकल्प प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं। सरकार की नवउदारवादी नीतियों का समाज के एक सीमित एवं चिन्हित वर्ग को ही लाभ मिला है, जबकि आम जनता लगातार पूंजीपतियों के शोषण का शिकार हो रही है। देश में इस स्थिति को अब और अधिक सहन नहीं किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश में माकपा ने शिमला और मंडी संसदीय क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं तथा कांगड़ा और हमीरपुर सीटों पर समान विचारधारा वाले गैर कांग्रेस और गैर भाजपा दलों को सहयोग करने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि वामपंथी पार्टियां यहां कांगड़ा और मंडी सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को समर्थन देगीं। आम आदमी पार्टी ने भी अभी तक इन्हीं दो सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। हालांकि दोनों ही पार्टियां चुनाव में एक-दूसरे को सहयोग की स्पष्ट घोषणा करने से बच रही हैं।
पत्रकारों से सवालों का जवाब देते हुए राकेश सिंघा का कहना था कि माकपा का संघर्ष कभी भी वोट बटोरने के लिए नहीं रहा, बल्कि पार्टी हमेशा आम जनता को देश के क्रूर सत्ताधीशों के प्रति जागरूक करने के लिए ही लड़ती रही है।
पत्रकारवार्ता में मौजूद शिमला संसदीय क्षेत्र से माकपा प्रत्याशी जगतराम ने कहा कि प्रदेश में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खेतीबाड़ी से परिवार का गुजारा नहीं होने के कारण किसान अपनी भूमि बेचने के लिए मजबूर हो गए हंै और इस तरह यहां बेरोजगारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकारें इस ओर से पूरी तरह आंखें मूंदे रही हैं और यहां से जीतकर जाने वाले सांसद भी संसद में प्रदेश की मूल समस्याओं को सही ढंग से नहीं उठा पाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान आम जनता की यह पीड़ा खुलकर सामने आ रही है तथा लोग कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों से बहुत नाराज हैं।
हमारा संघर्ष जनता को जागरूक करने के लिए: सिंघा
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