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करछम-वांगतू परियोजना की भी खुलने लगी कलई

किन्नौर। सोलन जिला के बघेरी थर्मल प्लांट प्रकरण के बाद अब किन्नौर जिला में जेपी समूह द्वारा बनाई गई करछम-बांगतू जल विद्युत परियोजना की कलई भी खुलने लगी हैं। सूत्रों के अनुसार राजस्व रिकार्ड में पाया गया है कि इस परियोजना का भी काफी भाग अवैध रूप से सरकारी भूमि पर बना है। परियोजना का बांध व गाद बाहर निकालने वाली सुरंग (फ्लशिंग टनल) अवैध पाई गई है। यही नहीं सीमा सड़क संगठन के सामरिक महत्व वाले भारत-तिब्बत मार्ग पर भी अतिक्रमण किए जाने की पुष्टि हुई है।

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राजस्व विभाग के फील्ड स्टाफ ने बहुत पहले वर्ष 2009 में संबंधित फाइल तैयार कर प्रशासन को भेजी दी थी, लेकिन कथित ‘ऊपरी दबाव’ के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्लेखनीय है कि करछम-वांगतु परियोजना के निर्माण में अवैध कब्जों की शिकायतें स्थानीय लोगों ने भी समय-समय पर प्रदेश ही नहीं बल्कि केन्द्र के प्रमुख मंत्रालयों तक की, लेकिन कहीं से भी कोई सकारात्मक सहयोग नहीं मिला। अब लोगों का कहना है कि बघेरी थर्मल प्लांट की तरह करछम-वांगतु परियोजना के मामले में भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उपलब्ध राजस्व रिकार्ड के मुताबिक जेपी समूह ने करछम नामक स्थान पर जिस बांध का निर्माण किया है, उसमें निचार उपमंडल क्षेत्र में आने वाला हिस्सा अवैध है। राजस्व विभाग के फील्ड कर्मचारियों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक खसरा नं 595 रकबा करीब 61 बीघा फ्लशिंग टनल के लिए अतिक्रमण किया गया है, लेकिन कंपनी ने लीज हुई खसरा नं 595/1 भूमि साढ़े तेईस बीघा को फ्लशिंग टनल में दिखाने का प्रयास किया है। इसके अलावा खसरा नं 346/1 गैर मुमकिन दरिया भूमि चार बीघा तेरह बिस्वा, जो अब बांध में तबदील किया गया है, पर भी कंपनी ने अतिक्रमण किया है। इसी तरह खसरा नं 346/2 रकबा पांच बीघा नौ बिस्वा, जो बांध के साथ है, पर मलवा आदि फैंक कर अतिक्रमण किया गया है। यह भी पुष्टि हुई है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत सीमा सड़क संगठन के नाम खसरा नं 342 रकबा साढ़े तीन बीघा, पर भी जेपी समूह ने कब्जा किया है।
सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 19 अक्तूबर 2009 को इन अवैध कब्जों की रिपोर्ट पटवारी ने कानूनगो को प्रेषित की थी। कानूनगो ने तीन दिन बाद तहसीलदार तक फाइल सरकाई और तहसीलदार ने 21 जनवरी 2010 को फाइल आगे कार्रवाई के लिए सक्षम अधिकारी को भेजी। लेकिन आज दिन तक न तो कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और न ही उसे बेदखल किया गया है।
इस बारे में जानकारी लेने के लिए किन्नौर के कार्यकारी उपायुक्त संजय शर्मा से संपर्क साधा गया तो उनका कहना था, ”मैं जिला मुख्यालय से दूर पूह मेें हूं। बिना दस्तावेजों को देखे कोई भी प्रतिक्रिया देना तर्कसंगत नहीं रहेगा। कुछ मामलों में लीज से जुड़ी फाइल आगे भेज दी गई है तथा संयुक्त निरीक्षण भी हो चुका है।”

हिम न्यूज़पोस्ट.कॉम

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