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नई दिल्ली। दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा अब भी ग़ुलाम है। इनमें सबसे अधिक लोग भारत में रहते हैं। ग़ुलामी के ख़िलाफ़ काम करने वाली संस्था वाक फ्री के ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स के अनुसार दुनिया भर में तीन करोड़ साठ लाख लोग ग़ुलामी का जीवन बिता रहे हैं। रिपोर्ट में उन लोगों को ग़ुलाम माना गया है जो जबरन विवाह, जबरन मज़दूरी, मानव तस्करी या सेक्स के धंधे में बेचे गए हैं या फिर जिन पर बहुत अधिक कर्ज़ है। इस सूची में भारत का नंबर सबसे ऊपर है, जहां एक करोड़ 40 लाख लोग ग़ुलाम बताए गए हैं, जबकि चीन दूसरे और पाकिस्तान तीसरे नंबर पर हैं।
बढ़ी ग़ुलामों की संख्याः सर्वे में ग़ुलामी को आधुनिक मायनों से परिभाषित किया गया है न कि पारंपरिक परिभाषा में जहां सिर्फ उन्हीं लोगों को ग़ुलाम माना जाता था जो किसी की क़ैद में रहते थे। 2013 में इसी सर्वे में आई संख्या काफ़ी कम थी, लेकिन इस बार के सर्वे का तरीका बेहतर माना जा रहा है। इसमें यह संख्या काफ़ी बढ़ी है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आँकड़ों के अनुसार ही तकरीबन दो करोड़ लोगों से ज़बरदस्ती मज़दूरी करवाई जा रही है। वाक फ्री संस्था के अनुसार दुनिया के 167 देशों में ये सर्वेक्षण किया गया और हर देश में ग़ुलामी से जुड़ी समस्याएं हैं। रिपोर्ट के अनुसार एशिया और अफ़्रीका में ग़ुलामी को खत्म करने की चुनौती सबसे बड़ी है।
यूरोप में स्थिति बेहतरः रिपोर्ट के मुताबिक ग़ुलामों की संख्या यूरोप में कम है। चीन में यह संख्या तीस लाख है। इस सूची में चौथे नंबर पर उज़बेकिस्तान और पांचवे नंबर पर रूस है। कहा जा रहा है कि रूस की अर्थव्यवस्था में निर्माण और कृषि के क्षेत्र आप्रवासी मज़दूरों पर ही टिके हुए हैं, जिनसे जबरन मज़दूरी करवाई जा रही है।
जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से मौरिटानिया में सबसे अधिक गुलाम है. जहां जनसंख्या का चार प्रतिशत ग़ुलामी का जीवन जी रहा है। रिपोर्ट में अपील की गई है कि ग़ुलामी के खिलाफ़ अंतरराष्ट्रीय सहयोग किया जाए और सरकारें, व्यावसायिक घरानों पर जुर्माना लगाएं ताकि जबरन मज़दूरी को रोका जा सके। (बीबीसी न्यूज सर्विस से साभार)