Advertising

कार्टूनिस्टों की नजर में करंसी क्राइसिस…

देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगने के बाद समूचा मीडिया इसी से संबंधित खबरों तक सिमट कर रह गया है। सरकार भी हैरान है कि निशाना तो कालाबाजारियों और जाली नोट छापने वालों पर लगाया गया था, लेकिन मार आम निरीह जनता पर पड़ गई। रोती, कराहती, चीखती जनता की भीड़ बैंकों को घेरकर जमा हो गई। भूखे, प्यासे इन लोगों को न दिन को चैन है, न ही रात को। इनमें बीमार बूढ़ों से लेकर लाचार महिलाएं भी शामिल हैं, जो अपने बच्चों व बुजुर्जों को भगवान भरोसे छोड़ कर लाइन में लगी हुई हैं। टीवी चैनलों के पास पीड़ित रोते, बिलखते गरीबों की ढेरों कहानियां हैं। ऐसे में कार्टूनिस्ट भी क्यों पीछे रहने लगे। आप भी देखिए कार्टूनिस्टों की नजर में करंसी क्राइसिस

Advertisement
….  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

एचएनपी सर्विस

Recent Posts

पं नेहरू के प्रति मेरे मन में पूरा सम्मानः शांता कुमार

धर्मशाला। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि पालमपुर नगर… Read More

6 months ago

मणिकर्ण में आग लगने से दो मंजिला मकान जलकर राख

कुल्लू। जिला कुल्लू के मणिकर्ण घाटी के गांव सरानाहुली में बुधवार रात को दो मंजिला… Read More

6 months ago

फासीवाद बनाम प्रगतिशील

फासीवाद और प्रगतिशील दोनों विपरीत विचारधाराएं हैं। एक घोर संकीर्णवादी है तो दूसरी समाज में… Read More

6 months ago

वाईब्रेंट विलेज नमग्या पहुंचे राज्यपाल, स्थानीय संस्कृति एवं आतिथ्य की सराहना की

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किन्नौर जिला के सीमावर्ती… Read More

8 months ago

दुग्ध उत्पादकों के लिए जुमलेबाज ही साबित हुई सुक्खू सरकार

रामपुर। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान 80 व 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से… Read More

11 months ago

खुलासाः मानव भारती विवि ने ही बनाई थीं हजारों फर्जी डिग्रियां

शिमला। मानव भारती निजी विश्वविद्यालय के नाम से जारी हुई फर्जी डिग्रियों में इसी विवि… Read More

12 months ago
Advertisement