खादी आश्रम से जुड़े लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि देश के दूसरे राज्यों में खादी के वस्त्रों पर 30 से 35 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में यह मात्र पांच प्रतिशत ही दिया जा रहा है और यह अनुदान राशि देने में भी प्रदेश सरकार आनाकानी कर रही है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार के पास एक करोड़ रुपये से अधिक बकाया अनुदान राशि हो गई है, परंतु इसकी अदायगी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। परिणाम स्वरूप खादी आश्रम के तहत लगे बुनकरों एवं खड्डी वालों को काम से महरूम होना पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि जिस समय कपास के रेट 10-15 रुपये प्रति किलोग्राम होते थे, उस समय के हिसाब से अनुदान राशि व बैंक लोन मिल रहे हैं, जबकि कच्चे माल की कीमतें आसमान छू रही हैं। यही कारण है जो खादी आज अमीरों का शौक, लेकिन गरीबों की पहुंच से बाहर हो गई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि नालागढ़ खादी आश्रम को जिंदा रखने के लिए बकाया अनुदान राशि तुरंत जारी की जाए।