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पांवटा साहिब (सिरमौर)। सिरमौर जिले में सरकार व प्रशासन की लापरवाही के कारण मनरेगा योजना बुरी तरह लडख़ड़ा गई है। स्थिति यह हो गई है कि पहले जो लोग इस योजना के आकर्षण में शहरों से अपने गांव लौट आए थे, वे यहां काम नहीं मिलने के कारण फिर से पलायन के लिए मजबूर हो गए हैं। इस योजना के तहत विभिन्न पंचायतों में ग्रामीणों को पिछले 6 माह से काम नहीं मिल रहा है। पांवटा साहिब विकास खंड के तहत ग्राम पंचायत बढ़ाणा के वासियों ने मीडिया को बताया कि उन्हें पहले मनरेगा के तहत घर के पास ही काम मिल जाता था, जिससे लोगों का रोजगार के लिए पलायन रुकने लगा था। लेकिन अब पिछले 6 माह से हालात फिर से पहले की तरह हो गए हैं। ग्रामीण फिर से रोजगार की तलाश में तेजी से शहरों की ओर भागने लगे हैं।
बढ़ाणा पंचायत के वासी मोहन सिंह, जय चंद, मीरा देवी, धर्मी देवी और प्रेम सिंह ने बताया कि मनरेगा से ग्रामीणों को नई उम्मीदें बंधी थीं। कुछ वर्ष पूर्व गिरीपार के कई गांवों के दिहाड़ी मजदूरी के लिए शहरों में भटक रहे बड़ी संख्या में लोग वापस लौट आए थे और पलायन पर काफी हद तक विराम लग गया था। लेकिन अब फिर से पहले वाली स्थिति बन गई है। उन्होंने बताया कि यहां पिछले छह 6 माह से ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार नहीं मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि सरकार की गरीबों के लिए वरदान मानी जा रही मनरेगा योजना में आवेदन करने के बाद 15 दिन में प्रार्थी को रोजगार उपलब्ध कराना कानूनन आवश्यक किया गया है तथा इस अवधि में रोजगार नहीं देने पर प्रार्थी को बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान किया गया है। ग्रामीणोंं का कहना है कि उसके बावजूद पिछले 6 माह से बढ़ाणा पंचायत में लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
ग्राम पंचायत बढ़ाणा के प्रधान रंगी लाल तथा उप प्रधान पंच राम ने इस बारे में पूछने पर बताया कि वास्तव में ही लोगों को मनरेगा के तहत काम देने में दिक्कतें हो रही हैं, क्योंकि विकास योजनाओं के लिए बजट का प्रावधान नहीं हो पा रहा है। इससे पंचायत में विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हंै।
उधर, पांवटा के खंड विकास अधिकारी सतपाल राणा ने भी स्वीकार किया कि अभी बजट की कमी है, जिससे कुछ पंचायतों के कार्य प्रभावित हो रहे हैं।