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मंडी कांडः सरकारी तंत्र की नंगई, गुंडाराज को बुलावा

शिमला। आइआइटी मंडी कांड में सरकारी तंत्र की नंगई के खुले दर्शन किए जा सकते हैं। कहानी सीधी सी है- सैकड़ों

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मजदूर श्रम कानूनों को लागू कराने के लिए ठेकेदार और सरकारी तंत्र पर दबाव बना रहे थे। शातिर ठेकेदार प्रशासन के नाक के सामने मजदूरों का 24 लाख रुपये का ईपीएफ हड़प चुका था और अब वेतन देने में भी आनाकानी कर रहा था। प्रशासन ने मजदूरों का साथ देने के बजाए ठेकेदार को ही बंदूक की नोक पर ‘समाधान’ करने देने का मौका दिया, लेकिन पासा उलटा पड़ गया।

ठेकेदार राजीव शर्मा ने पंजाब से हत्या व लूटपाट जैसी आपराधिक पृष्ठभूमि के बाउंसर बुलाकर गोलियां बरसाते हुए मजदूरों पर छोड़ दिए। खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें करीब आधा दर्जन मजदूर गोलियों से घायल हुए और चार बाउंसर मजदूरों की पिटाई और पहाड़ियों से गिरने पड़ने के कारण मारे गए। सरकारीतंत्र कुल 9 में से पांच शेष बचे घायल बाउंसरों को उपचार के बहाने पीजीआई चंडीगढ़ ले गया और उन्हें वहां से चुपचाप खिसक जाने दिया गया। पुलिस ने स्वयं स्वीकार किया है कि उन बाउंसरों पर पुलिस की कोई निगरानी नहीं थी।

ठेकेदार की पीठ पर मंडी के किस मंत्री का हाथ है, उसे लेकर भी चर्चाएं हैं। ठेकेदार को अभी तक न गिरफ्तार किया गया और न ही उसके खिलाफ कोई केस दर्ज हुआ है। भाजपा के मंडी जिला अध्यक्ष जवाहर ठाकुर ने बयान दिया है कि ठेकेदार द्रंग से कांग्रेस का नेता है, इसलिए राजस्व मंत्री कौलसिंह ठाकुर आइआइटी कांड में अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। क्या कौलसिंह ठाकुर इसी बल पर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं? पुलिस के एक बड़े अधिकारी तो इस सारी घटना के लिए मजदूरों को ही दोषी ठहराने का प्रयास कर रहे हैं। यानी मजदूरों को अपने ऊपर शांतिपूर्वक गोलियों की बरसात झेलनी चाहिए थी।

मजदूर संगठन सीटू की राज्य इकाई ने सोमवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को एक ज्ञापन भेज कर आइआइटी मंडी कांड की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और इसके लिए दोषी जिलाधिकारियों, ठेकेदार और आइआइटी प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सीटू के राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा ने ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री को बताया कि आइआइटी मंडी में कार्यरत करीब 600 मजदूर पिछले काफी समय से श्रम कानूनों को लागू कराने के लिए संघर्षरत हैं। प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद ठेकेदार ने मजदूरों का 24 लाख रूपये का ईपीएफ हड़प लिया। सीटू नेताओं ने जिला प्रशासन को पहले ही ठेकेदार के मंसूबों और उसके हथियारबंद गुंडों के बारे में जानकारी दे दी थी, लेकिन किसी ने भी कोई सुनवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि प्रशासन के इसी नकारात्मक रवैये के कारण यह खूनी कांड हुआ।

सीपीआईएम नेता कुशाल भारद्वाज ने प्रश्न उठाया है कि सरकार, पुलिस और प्रशासन में कौन हैं जो हमलावर कंपनी, ठेकेदार और उनके भाड़े के गुंडों को सुरक्षित बच निकलने के लिए रास्ता मुहैया करवा रहा है.. ? आखिर खूनी खेल खेलने वाली कंपनी, ठेकेदार और उनके गुंडों को पर इतनी मेहरबानी क्यों ?

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) नेता देशराज का कहना है कि आइआइटी कांड प्रदेश में बढ़ती उस ठेकेदारी प्रथा का परिणाम है, जिसमें ठेकेदार बाहुबल से मजदूरों को शोषण के लिए विवश करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

वास्तव में जिस दिन 20 जून को मंडी में यह कांड हुआ, ठीक उसी दिन शिमला में भी एक प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा पंजाब से लाए गए बाउंसरों ने बनूटी के पास एक परिवार को जबरन घर से बाहर निकाला और मकान को जेसीबी से तहस नहस कर दिया। हाल ही में किन्नौर में भी इन्हीं परिस्थितियों में जेपी कंपनी के सैकड़ों मजदूरों को सर्दियां जीरो डिग्री तापमान में जंगलों में बितानी पड़ी। इस उत्पीड़न में दो मजदूरों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। कुछ वर्ष पूर्व चंबा में भी एक विद्युत परियोजना निर्माता कंपनी ने पंजाब से ही हथियारबंद बाउंसरों को बुलाकर हड़ताली मजदूरों पर फायरिंग कराई थी, जिसमें तीन मजदूर मारे गए थे।

प्रदेश में बढ़ रही इस तरह की घटनाओं को देखते हुए आम जनमानस में स्वभाविक ही यह आशंका घर करने लगी है कि क्या व्यवस्था के खिलाफ जनाक्रोश को कुचलने के लिए गुंडाराज को अघोषित रूप से सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है ?

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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