नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने जनता के पैसे से मीडिया में नेताओं के फोटो वाले विज्ञापन प्रसारित-प्रकाशित करने पर रोक
जस्टिस रंजना गोगोई और एनवी रामन्ना की पीठ ने अदालत के निर्देश पर गठित समिति की अधिकतर सिफारिशों को मान लिया। समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि ऐसे इश्तहारों में मुख्यमंत्री और राज्यपालों की तस्वीरें लगाई जाएं, लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया।
पीठ ने सरकार को इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए तीन लोगों की एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। अदालत के इस निर्णय के बाद प्रदेशों की सरकारों को अपनी विज्ञापन नीति में व्यापक बदलाव करना पड़ेगा। अभी तक आम आदमी का पैसा राजनीतिक लाभ के लिए खर्च किया जाता रहा है। मुख्यमंत्री और मंत्रियों को खुश करने के लिए कई विभाग बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाते थे। कई विज्ञापन ऐसे होते थे जो केवल राजनीतिक लाभ के लिए जारी किए जाते थे, जिनमें जनहित कहीं मायने नहीं रखता था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
अदालत ने पिछले साल अप्रैल में राजनीतिक फ़ायदे के लिए सार्वजनिक विज्ञापनों का दुरुपयोग रोकने और एक नीति बनाने के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया था। प्रोफ़ेसर एनआर माधवा मेनन की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अक्तूबर में अपनी सिफारिशें दी थीं। लोकसभा के पूर्व सचिव टीके विश्वनाथन और सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार इसके सदस्य थे।
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