कुल्लू। पर्यटन की दृष्टि से विश्व विख्यात कुल्लू घाटी के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र विकास की लौ से अभी भी कितने अछूते हैं, इसका अंदाजा पिछले कल की दो दुखद घटनाओं से सहज लगाया जा सकता है। पहली घटना में शनिवार को सैंज घाटी की गाड़ापारली पंचायत क्षेत्र मझाणा गांव की एक 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला को पेट में दर्द उठा। उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने एक कुर्सी को डंडों से बांधकर पालकी बनाई और दर्द से कराह रही महिला को उस पर बिठाकर लगातार छह घंटे 14 किलोमीटर चल कर निहारनी स्थित सड़क तक पहुंचाया। वहां से आगे वाहन द्वारा उसे अस्पताल पहुंचाया गया।
दूसरी घटना भी गाड़ापारली पंचायत की ही है। रविवार को बनाऊगी गांव की एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के बीच कुर्सी पर उठाकर आठ किलोमीटर दूर निहारनी सड़क तक पहुंचाना पड़ा। वहां से वाहन द्वारा उसे क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू पहुंचाया गया।
प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज कुल्लू जिला के पर्यटक स्थल मनाली, सोलंगनाला, मणिकर्ण, रोहतांग पास, नग्गर आदि विश्व विख्यात हैं। वहां वर्ष भर देश- विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक प्रकृति का आनंद उठाने पहुंचते हैं। आज प्रश्न यह उठ रहा है कि कुल्लू घाटी को प्रकृति ने तो बहुत कुछ दिया है, लेकिन सरकार ने क्या किया? ग्रामीण जन जीवन की दशा को दर्शाने वाली उक्त दोनों घटनाएं क्षेत्र वासियों के लिए आम बातें हैं। ज्यादातर मामलों में मरीज रास्तों में ही दम तोड़ जाते हैं।
सैंज घाटी की गाड़ापारली पंचायत क्षेत्र के वासी रामलाल, शोभाराम, डाबेराम, निर्मला देवी, शकुंतला देवी ने कहा कि विधायक और मंत्रीगण चुनाव के समय वोट मांगने के समय तो दुर्गम गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के बढ़चढ़ कर वादे करते हैं, लेकिन बाद में उनकी ओर मुड़कर भी नहीं देखते।
गाड़ापारली पंचायत के उपप्रधान अज्जू ठाकुर ने कहा कि पंचायत क्षेत्र में सड़क सुविधा नहीं होने से ग्रामीणों को रोज ही इस तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। प्रशासन और सरकार से सड़क और एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की लगातार मांग की जा रही है, लेकिन किसी के भी कान पर जूं नहीं रेंग रही।