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सिंघा को अनशन से उठाकर जंगल में फेंका!

अनशन पर बैठे नेता के साथ इस तरह का व्यवहार सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लगाता है। अनशन के 8वें दिन पुलिस ने कामरेड राकेश सिंघा को जबरन उठाकर बिना किसी मेडिकल सहायता के बहुत दूर सुनसान जगह पर साधूपुल के पास ला कर पटक दिया। साथियों ने वहां से मेयर संजय चौहान को सूचित किया, जिन्होंने तुरंत स्पेशल एम्बुलेंस कर उन्हें जुन्गा के जंगल से बेहोशी की हालत में आईजीएमसी लाया।

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मैं हमेशा ही का.राकेश सिंघा और डा. कश्मीर ठाकुर बनने की कोशिश करता हूं, लेकिन इनकी दिलेरी, वैचारिक दृढ़ता, प्रतिबद्धता, बहादुरी, बलिदान एवं नेतृत्व क्षमता अद्वितीय है। मुझे माफ करना, मैं सच कह रहा हूं, मुझमें ऐसी क्षमता नहीं। ऐसे ही एक और पुरोधा हैं- डा. ओंकार शाद, जिन्होंने शौंग-ठोंग परियोजना के उत्पीड़ित मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए शिमला में सचिवालय के सामने भूख हड़ताल पर बैठे उक्त नेताओं के साथ शुक्रवार को सरकार द्वारा किए गए घृणित व्यवहार की जानकारी मुझे दी।

लेखक, कुशाल भारद्वाज, माकपा नेता एवं राजनीतिक टिप्पणीकार हैं।

भूख हड़ताल के 7वें दिन पुलिस ने डाक्टर कश्मीर ठाकुर को जबरन उठाकर अस्पताल पहुंचा दिया और 8वें दिन का. राकेश सिंघा को कुछ अन्य अनशनकारियों सहित जबरन उठाकर चुपचाप बिना किसी मेडिकल सहायता के शिमला से बहुत दूर सुनसान जगह पर साधूपुल के पास ला कर पटक दिया। साथियों ने वहां से मेयर संजय चौहान को सूचित किया, जिन्होंने तुरंत स्पेशल एम्बुलेंस कर उन्हें जुन्गा के जंगल से बेहोशी की हालत में आईजीएमसी लाया। सात दिनों से आमरण अनशन पर बैठे नेता के साथ इस तरह का व्यवहार सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लगाता है। इतना सब होने के बावज़ूद ये सफेद दाढ़ी वाला लड़ाका अपनी जान की परवाह किए बगैर अस्पताल में भी अपने अनशन को जारी रखे हुए हैं। मजदूर आंदोलन के इन महान योद्धाओं को कोटि कोटि सलाम!

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मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हाल ही में रोहडू में हुई एक जनसभा में बेलगाम ठेकेदारों को सार्वजनिक रूप से लताड़ लगाई, जिससे लोगों का काफ़ी मनोरंजन हुआ। क्या मुख्यमंत्री उस समय यह भूल गए थे कि शौंग- ठोंग परियोजना में सरकार के बहुत ही करीबी ठेकेदारों द्वारा प्रताड़ित, शोषित सैकड़ों मज़दूर पिछले करीब चार माह से अपने हक़ों की लड़ाई के लिए क्रमिक अनशन पर बैठे हैं और उनके समर्थन में शिमला में सचिवालय के सामने सीपीआईएम और सीटू का अनिश्चितकालीन अनशन भी चल रहा है। हाईकोर्ट भी इन मजदूरों की मांगों को जायज ठहराते हुए सरकार को निर्देश दे चुका है, लेकिन सरकार की कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

सीटू के बैनर तले राकेश सिंघा और डॉ. कश्मीर ठाकुर के नेतृत्व में लड़ा जा रहा यह संघर्ष सिर्फ शौंग- ठोंग परियोजना के मजदूरों के लिए नहीं, बल्कि प्रदेश के समस्त मजदूर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए लड़ा जा रहा है। यदि आज शौंग- ठोंग प्रोजेक्ट के मजदूरों के आंदोलन को पैरों तले रौंदा जा रहा है, तो आने वाले दिनों में यह दमनात्मक कार्यवाही हर जगह दोहराई जाएगी। इसका कड़ा विरोध जरूरी है।

मैं सरकार को सचेत कर देना चाहता हूं कि सच्चाई पर से आंखें मूंद लेने से काम नहीं चलेगा।  नौजवान सभा और तमाम डेमोक्रेटिक ऑर्गेनाइजेशन्स शोंग-ठोग के मज़दूरों के साथ खड़े हैंI अगर सरकार का यही रवैया रहा तो फिर एक बड़े राज्यव्यापी आंदोलन के लिए भी तैयार रहे।

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एचएनपी सर्विस

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