नई दिल्ली। जम्मू- कश्मीर के बहुचर्चित कठुआ गैंगरेप एवं मर्डर केस की सुनवाई अब पंजाब के पठानकोट की अदालत में होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने इसे सीबीआई को सौंपने से साफ इन्कार करते हुए सोमवार को यह फैसला लिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रतिदिन सुनवाई की जाएगी।
कठुआ में पिछले दिनों घुमंतु मुस्लिम बकरवाल समुदाय की एक आठ वर्षीय बच्ची आसिफा के साथ कुछ लोगों ने कई दिनों तक बलात्कार किया और फिर हत्या कर उसका शव जंगल में फैंक दिया। इस केस की जांच रिपोर्ट में संदेह जताया गया है कि कुछ कट्टर हिंदुओं ने घुमंतु मुस्लिम समुदाय को डराकर वहां से भगाने के लिए इस घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया।
कठुआ में कुछ कट्टर हिंदुओं, जिसमें वकील भी शामिल थे, ने इस जांच रिपोर्ट के विरोध में खूब धरना प्रदर्शन किए और क्राइम ब्रांच को संबंधित चार्जशीट अदालत में पेश करने से भी रोका। यही नहीं पीड़ित पक्ष की वकील को भी केस नहीं लड़ने के लिए धमकाया गया। वे इस केस की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी मांग को खारिज कर दिया।
कठुआ में हिंदू वकीलों के रवैये को देखते हुए मृत बच्ची के परिजनों ने सर्वोच्च न्यायालय से यह केस अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग की थी। अदालत ने परिजनों की मांग को स्वीकार करते हुए यह केस पंजाब के पठानकोट की अदालत को स्थानांतरित कर दिया।
जम्मू- कश्मीर सरकार ने भी अदालत में दलील दी थी कि राज्य पुलिस ने कठुआ कांड की जांच में अच्छा काम किया है। इसलिए यह केस सीबीआई को सौंपने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कथितरूप से धर्मांधता के वशीभूत अंजाम दी गई इस हृदय विदारक घटना ने देश को एक तरह से युद्ध के मैदान में बदल दिया है। देश में ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी इस घटना के कारण देश की बहुत किरकिरी हुई। कट्टर हिंदुओं का एक वर्ग अभियुक्तों को बचाने के लिए खुल कर सामने आ गया है। देश के तमाम न्यूज चैनल इस जघन्य घटना को लेकर बहस से सराबोर हैं।
द न्यूयार्क टाइम्स के पत्रकार निकोलस क्रिस्टॉफ ने अपने कॉलम में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा- ‘वह घने भूरे बाल और बड़ी-बड़ी आंखों वाली आठ साल की उत्तर भारतीय लड़की थी, जिसे मैदानों में अपने जानवरों के ले जाना पसंद था। पुलिस के मुताबिक, एक दिन एक आदमी ने उसे नजदीक के जंगल में बुलाया, उसकी गर्दन पकड़ी और उसे नींद की गोलियां खाने को मजबूर कर दिया। फिर कई लोगों ने उसके साथ कई दिन बलात्कार किया और हत्या कर उसकी लाश जंगल में फैंक दी। इस मुस्लिम लड़की की बलात्कार के बाद हत्या भारत में एक बड़े विवाद की वजह बन गई। कुछ हिंदू वकीलों और महिलाओं ने इस कांड के संदिग्धों के खिलाफ मुकद्दमा चलाने का विरोध किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले में चुप्पी बरकरार रखी। इस सबके बीच मध्यवर्गीय भारतीय का एक बड़ा हिस्सा, जिनमें हिंदू भी थे, उस लड़की के लिए न्याय मांगने सड़कों पर उतरा।’
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