शिमला। हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में अंततः जयराम ठाकुर के नाम की घोषणा कर दी गई। करीब चार दिन चली खींचतान के बाद रविवार को यहां केंद्रीय पर्यवेक्षकों- निर्मला सीतारमण और नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति में हुई भाजपा विधायकों की बैठक में यह घोषणा की गई। वे 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल भी इस अवसर पर मौजूद थे। इन दोनों नेताओं का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा था। लेकिन हाईकमान की अंतिम सहमति जयराम ठाकुर पर ही बनी।
प्रदेश में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए भाजपा संसदीय बोर्ड में चार दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद के लिए मंडी जिला के सराज क्षेत्र से पांचवीं बार जीत कर आए जयराम ठाकुर के नाम पर सहमति हो गई थी। पूर्व पंचायती राज मंत्री जयराम ठाकुर एक बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
मंडी जिला प्रदेश में कांगड़ा के बाद दूसरा बड़ा जिला है। इस बार चुनाव में जिला की कुल दस में से नौ सीटें भाजपा के खाते में आई हैं, जबकि एक सीट निर्दलीय ने जीती है। एक तरह से इस बार मंडी जिला कांग्रेस मुक्त हुआ है।
उधर, मंडी जिला को पहली बार मुख्यमंत्री पद मिलने की संभावनाओं से मंडी ही नहीं बल्कि साथ लगते कुल्लू और बिलासपुर जिलों के कार्यकर्ताओं में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा था। सभी लोग सीएम पद के लिए जयराम ठाकुर के नाम की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। रविवार दोपहर बाद जैसे ही इस पद के लिए जयराम ठाकुर के नाम की घोषणा हुई, उनके समर्थकों ने प्रदेश भर में जमकर नरेबाजी की और जश्न मनाया।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार जयराम ठाकुर के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह रही कि उन्होंने वरिष्ठता के बावजूद कभी भी स्वयं को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया। दूसरी बात यह कि प्रदेश में 37 प्रतिशत से अधिक मतदाता राजपूत हैं, इसलिए हाईकमान ने जातीय समाकरणों को भी ध्यान में रखा। इसके अतिरिक्त विधानसभा चुनाव में मंडी जिला की कुल 10 में से 9 सीटें भाजपा की झोली में आईं, इसलिए भी हाई कमान ने मंडी को पुरस्कृत करना उचित समझा।