चमोली। चमोली जिले में दुर्गम सीमांत क्षेत्रों में आईटीबीपी के जवानों ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के नारे ‘जय जवान- जय किसान’ को जीवंत कर
आइटीबीपी ने वर्ष 2010-11 में बार्डर एरिया डिवेल्पमेंट प्लान के तहत चेक पोस्टों के आसपास बंजर पड़ी खाली भूमि को हराभरा करने की मुहिम शुरू की। इसके तहत चैक पोस्टों में एक-एक ग्रीन हाउस भी स्थापित किया गया और इनमें सब्जियां उगानी शुरू की। शीघ्र ही जवानों की मेहनत रंग लाई और अब तो इन ग्रीन हाउसों में लौकी, टमाटर, आलू, खीरा, बींस, छप्पन कद्दू, बंदगोभी सहित अन्य सब्जियां खूब लहलहा रही हैं। सब्जी उत्पादन में आइटीबीपी ने रसायनिक खाद के बजाए पोस्टों में मौजूद घोड़ों- खच्चरों की लीद का ही जैविक खाद के रूप में उपयोग किया। इन समय आइटीबीपी की पोस्टों में सब्जियों की कुल खपत का लगभग दस प्रतिशत भाग इन्हीं ग्रीन हाउसों से आ रहा है। इस प्रयोग की सफलता से उत्साहित आइटीबीपी के अधिकारी अब हर चेक पोस्टों में ग्रीन हाउसों की संख्या बढ़ाने जा रहे हैं।
आईटीबीपी के जवान इस समय यहां विभिन्न 6 चेक पोस्टों में ग्रीन हाउस स्थापित कर सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। इनमें समुद्र तल से लगभग 16000 फुट की उंचाई पर स्थित छाजन चेक पोस्ट, 15000 फुट की उंचाई पर सचतुतला चेक पोस्ट, 14000 फुट की उंचाई पर रिमखिम अपर चेक पोस्ट, रिमखिम लोअर चेक पोस्ट, लपथल चेक पोस्ट और 10,000 फुट की उंचाई पर स्थित मलारी चेक पोस्ट शामिल हैं।
आइटीबीपी प्रथम वाहिनी के कमांडर राजेंद्र सिंह चंदेल कहते हैं कि शीतकाल में दिसंबर से फरवरी तक इन चेक पोस्टों में जवानों को सब्जी की किल्लत झेलनी पड़ती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है, जवान लगभग सारा साल यहां ताजा सब्जियों का आनंद उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किए गए इस प्रयास को अब और वृहद रूप देने की योजना तैयार की जा रही है। सभी चेक पोस्टों में ग्रीन हाउसों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है।
दुर्गम सुरक्षा चौकियों में ‘जय जवान-जय किसान’
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