हालांकि पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं, लेकिन फिर भी रोहतांग पास तक पहुंचाना आसान नहीं है। वहां जाने के लिए सुबह ही
मनाली से चलना पड़ता है ताकि यदि चार-पांच घंटे जाम में फंस भी गए तो भी किसी न किसी तरह दोपहर तक रोहतांग पहुंच ही जाएंगे। मनाली से सुबह तीन बजे ही गाडिय़ां रोहतांग की ओर निकल पड़ती हैं और यह सिलसिला दोपहर बाद तक जारी रहता है। पहला पड़ाव मढ़ी रहता है जहां सुबह 8 बजे के बाद 12 बजे तक बैरियर लगा दिया जाता है ताकि आगे निकल गए पर्यटक किसी तरह सुरक्षित रोहतांग पहुंच जाएं और जब उनकी वापसी का समय होने लगे तो फिर दूसरी खेप को छोड़ा जाए। इस दौरान सड़क पर वाहनों की मीलों लंबी कतारें लग जाती हैं, जिन्हें दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे माला में मोती पिरोए गए हों। मनाली, पलचान, कोठी, गुलाबा और मढ़ी के नजारों का आनंद उठाने के बाद रोहतांग की ओर सर्पाकार कैंचियों वाली सड़क पर वाहन सरकते हुए से आगे बढ़ते हैं। यहां कुछ किलोमीटर फासला तय करने में भी घंटों लग जाते हैं। मगर पर्यटक इसमें भी हर पल का आनंद उठाते हैं। भले ही इस दौरान उनकी जेब लगातार हल्की होती जाती है, क्योंकि पानी, स्नेक्स, चाय व काफी आदि तीन गुणा तक महंगे मिलते हैं। मगर यह सब उस समय बेमानी हो जाता है जब रोहतांग का सौंदर्य उनकी आंखों के सामने होता है।
(सभी फोटो बीरबल शर्मा)
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