मंडी। प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला मंडी जिला इस बार भी वर्ष 2007 का इतिहास दोहराता नजर आ रहा है।
मतदान से ठीक पहले की स्थिति के बारे में कहा जाए तो अनेक दिग्गज कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। प्रदेश सरकार में रहे तीनों मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर, जयराम ठाकुर और महेंद्र सिंह ठाकुर को कांग्रेस से सीधी चुनौती मिल रही है। वहीं कांग्रेस के दिग्गजों में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर और पूर्व मंत्री रंगीलाराम राव के पसीने छूट रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों से बाहर नहीं निकल पाए। कौल सिंह ठाकुर को तो अंतिम समय में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और कांग्रेस प्रभारी एवं राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र चौधरी को सहायता के लिए बुलाना पड़ा। वीरभद्र सिंह ने मंडी जिले में द्रंग को छोड़ कर हर जगह रैलियां कीं।
भाजपा का चुनाव प्रबंधन कांग्रेस से बेहतर रहा। यही कारण है जो इस बार भी वह वर्ष 2007 के चुनाव का इतिहास दोहराने की स्थिति में नजर आ रही है, जब उसने यहां 10 में से 6 सीटों पर कब्जा किया था। भले ही भाजपा सुंदरनगर में रूप सिंह ठाकुर और नाचन में दामोदर चौहान के बागी होने से परेशान है, मगर उसके बावजूद उसे उम्मीद है कि वह 6 सीटें निकाल लेगी। नाचन से भाजपा के बागी दामोदर चौहान के समर्थक भी जीत को लेकर काफी आश्वस्त हैं। यही कारण है जो कुछ विश्लेषक यह मान रहे हैं कि जिले में इस बार फिर से वर्ष 2007 की स्थिति बनेगी। उस समय जिले में 6 सीटें- सराज, जोगिंद्रनगर, सरकाघाट, धर्मपुर, नाचन और सुंदरनगर भाजपा को मिली थीं। करसोग से भाजपा के बागी हीरालाल चुने गए थे और मंडी सदर, द्रंग और बल्ह सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं।
कांग्रेस के लिए इस बार अंतिम समय तक बल्ह और मंडी सदर में खतरा बना हुआ है। कौल सिंह ठाकुर भी भितरघात से आशंकित हैं। कांग्रेस को इस बार सुंदरनगर और करसोग सीटों पर काफी उम्मीदें हैं। द्रंग और सरकाघाट को भी वह अपने खाते में मान कर चल रही है। सरकाघाट में कांग्रेस के रंगीलाराम राव को भाजपा के साफ सुथरी छवि वाले कर्नल इंद्र सिंह कड़ी टक्कर दे रहे हैं तो कौल सिंह ठाकुर द्रंग में वीरभद्र सिंह के बंदों की खुराफात से आशंकित हैं। मंडी सदर में पं. सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा भाजपा प्रत्याशी डीडी ठाकुर के चक्रब्यूह में फंसे हैं। उन्हें यहां अपने ही कुछ पुराने योद्धाओं के कारण भी खतरा बना हुआ है। धर्मपुर में कांग्रेस के चंद्र शेखर के पक्ष में बदलाव की लहर तो चल रही है, लेकिन फिर भी महेंद्र सिंह जैसे दिग्गज को परास्त करना उनके लिए मुश्किल नजर आ रहा है। सराज में कांग्रेस की महिला उम्मीदवार तारा ठाकुर सभी कांग्रेसियों को साथ लेकर नहीं चल पाई हैं, जो भाजपा के जयराम ठाकुर के लिए राहत भरा हो सकता है।
जोगिंद्रनगर में चाचा-भतीजा की जंग में कांग्रेसियों का भितरघात काम कर रहा है। जिले में अन्य किसी भी दल के लिए कोई संभावना नहीं दिख रही है। केवल एक नाचन में भाजपा के बागी दामोदर चौहान ही मुकाबले में आगे दिख रहे हैं। प्रत्याशियों की हार जीत काफी कुछ मतदान प्रतिशत पर भी निर्भर करेगी।
इस बार खास बात यह रही कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान मौसम पूरी तरह खुशगवार बना रहा। लोग अपने खेत- खलिहान के काम भी निपटाते रहे और चुनावी हलचल का भी मजा लेते रहे।
मंडी जिला में भाजपा फिर बढ़त की ओर!
Advertisement