धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों में चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू किया गया है। परियोजना सफल रही तो इन क्षेत्रों के किसान खैर की लकड़ी की तरह निजी भूमि में तैयार चंदन की महंगी लकड़ी भी बाजार में बेच सकेंगे। सांसद एवं भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने वीरवार को देहरा क्षेत्र में चंदन की नर्सरी में बीज बोकर कर परियोजना की शुरुआत की। इस नर्सरी में प्रथम चरण में चंदन के दस हजार पौधे तैयार कर किसानों को वितरित किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर, मंडी, सोलन, सिरमौर और चंबा जिले चंदन की खेती के लिए काफी उपयुक्त पाए गए हैं। ज्वालामुखी और बिलासपुर में तो पहले से ही चंदन के जंगल हैं। योजना है कि इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक किसानों को चंदन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
अनुराग ठाकुर ने देहरा में परियोजना के शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार चन्दन की खेती को बढ़ावा देने के लिये संबंधित नियमों को और सरल बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि चन्दन एक औषधीय वृक्ष होने के साथ-साथ इसका एक धार्मिक महत्व भी है। चन्दन की खुले बाजार में बहुत मांग है। चन्दन का वृक्ष 15 वर्ष में तैयार हो जाता है, जबकि खैर को तैयार होने में 30 वर्ष लग जाते हैं। इसके अलावा बाजार में चन्दन की लकड़ी की कीमत लगभग 7 हजार रुपये प्रति किलोग्राम है, जोकि खैर से कई गुणा अधिक है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अधिक से अधिक किसानों को चन्दन की खेती के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें इसके पौधे भी उपलब्ध करवाएगी ताकि किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सकें।
इस अवसर पर कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद कृपाल परमार सहित भाजपा के अनेक नेता और अधिकारीगण भी उपस्थित थे।