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शिमला। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) की संपत्तियों पर रातोंरात कब्जा करने के मामले में प्रदेश सरकार को फजीहत झेलनी पड़ गई है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने इस प्रकरण पर सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए 26 अक्तूबर से पहले की स्थिति तुरंत बहाल करने का अंतरिम आदेश पारित किया है। प्रदेश सरकार ने २६ अक्तूबर की रात को कैबिनेट में फैसला लेने के बाद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली एसपीसीए की सारी संपत्तियों पर कब्जा कर लिया था और एसोसिएशन ने इसे चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। इस केस की अगली सुनवाई अब 28 नवंबर को होगी। इस दौरान राज्य सरकार को एचपीसीए की मूल याचिका पर अपना जवाब रखना होगा।
एचपीसीए ने अदालत में दलील दी थी कि राज्य सरकार ने उसकी बात सुने बिना एकतरफा कार्रवाई करते हुए रात को ताले तोड़ कर संपत्तियां हथियाई हैं। प्रदेश सरकार ने इस पर अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि एचपीसीए कंपनी के रूप में अंतरिम राहत की हकदार नहीं है, क्योंकि सरकार ने सोसायटी को जमीन दी थी और उसी से वापस ली है। लेकिन कोर्ट ने इसे नहीं माना।
बहस के दौरान खंडपीठ ने सरकार से सीधा सवाल किया कि कार्यपालिका को कौन सा कानून अनुमति देता है कि देर रात ताले तोड़कर कानून अपने हाथ में ले लिया जाए। मुख्य न्यायाधीश एम खानविलकर और न्यायाधीश कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है कि 26 अक्तूबर से पहले की स्थिति बहाल की जाए। 26 अक्तूबर 2013 का फैसला गैरकानूनी और कार्यपालिका (राज्य सरकार) द्वारा तानाशाही पूर्ण तरीके से किया गया है। आदेश मध्य रात्रि को पारित हुआ और कैबिनेट 10.30 बजे खत्म हुई। एचपीसीए के वैध कब्जे को हटाते समय कार्यपालिका ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया, जबकि अतिक्रमण को भी पूरी कानूनी प्रक्रिया से हटाए जाने का प्रावधान है।’’
सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा और महाधिवक्ता श्रवण डोगरा आदि और एचपीसीए की ओर से पीएस पटवालिया, आरके बावा, अभिन्व मुखर्जी, पुरुषोत्तम चौधरी और विक्रांत ठाकुर पेश हुए।
अदालत के फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘मैं हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। इससे यह सबक लिया जाना चाहिए कि हमें राजनीतिक सोच से ऊपर उठकर खेल और युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। हमारी यह सोच भविष्य में भी बनी रहेगी।’’
भाजपा सांसद एवं एचपीसीए के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘‘यह प्रदेश में न्याय और क्रिकेट की जीत है। एचपीसीए प्रदेश में क्रिकेट के उत्थान को लेकर वचनबद्ध है और रहेगी।’’
एचपीसीए केस में अंतरिम फैसला खिलाफ जाने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का कहना था कि, ‘‘हम फैसले का सम्मान करते हैं और इसके अध्ययन के बाद ही उचित कदम उठाएंगे।’’
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के निर्णय की वैधता या योग्यता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया है, लेकिन निर्णय को लागू करने के तौर तरीके पर कुछ टिप्पणियां की गई हैं। यह आर्डर केवल कार्यान्वयन के पहलुओं तक सीमित है। सरकार सभी पहलुओं, परिस्थितियों और कानूनी प्रावधानों का बारीकी से अध्ययन करेगी और उसके बाद ही अगला कदम उठाएगी।