शिमला। हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने निजी भूमि पर स्वीकृत नक्शों से इतर छेड़छाड़ कर बनाए गए भवनों को एकमुश्त नियमित करने के लिए मंजूरी दे दी है। इसके लिए एक अध्यादेश लाकर ऐसे अवैध भवनों के मालिकों से शुल्क वसूल कर ‘जैसा है, जहां है’ की तर्ज पर उन्हें नियमित किया जाएगा। भवन मालिकों को नियमितिकरण के लिए अध्यादेश की घोषणा के 45 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा। नगर पालिका व सरकारी भूमि अथवा ग्रीन एरिया में कब्जा कर बनाए गए भवन नियमित नहीं किए जाएंगे। शुक्रवार को मंत्रिमंडल की इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की।
मंत्रिमंडल के निर्णय में यह भी कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश टीसीपी अधिनियम 1977 में यह संशोधन अवैध निर्माणों को नियमित करने का अन्तिम अवसर है। विभाग को भविष्य में किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण की अनुमति न देने के कड़े निर्देश दिए गए हैं।
अवैध भवनों के नियमितिकरण के लिए अलग- अलग स्तरों पर शुल्क निर्धारित किए गए हैं। आवासीय भवनों (जहां अनुमति प्राप्त की गई हो, लेकिन सैट बैक पर विचलन (डेविएशन) किया गया है), के लिए सेट बैक पर 35 प्रतिशत तक विचलन के लिए दर धरातल स्तर पर 800 रुपये प्रति वर्ग मीटर तथा इसके ऊपर हर मंजिल के लिए 400 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर निर्धारित की गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों अथवा नगरपालिका के बाहर के क्षेत्रों में अवैध भवनों के लिए धरातल स्तर की कवरेज के लिए निर्धारित दर 400 रुपये प्रति वर्ग मीटर, जबकि इसके बाद प्रत्येक मंजिल के लिए 200 रुपये प्रति वर्ग मीटर होगी। सैट बैक पर 35 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक विचलन के लिए निर्धारित दरें दोगुणा होंगी। व्यावसायिक अनाधिकृत संरचनाओं के लिए यह कम्पाऊंडिग दर दो गुणा होगी।
नगरपालिका क्षेत्रों में अनाधिकृत मंजिलों की संख्या 100 वर्ग मीटर अनाधिकृत क्षेत्र तक 1500 रुपये प्रति वर्ग मीटर रखी जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में विचलन के लिए यह दर एक हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर होगी। अनाधिकृत मंजिलों में 100 वर्ग मीटर से अधिक के विचलन की दर दो गुणा होगी।
जल विद्युत क्षेत्रः मंत्रिमण्डल ने राज्य की जल विद्युत नीति में कुछ संशोधन करने को मंजूरी दी। जिन मूल हिमाचलियों को दो मैगावाट क्षमता तक की परियोजनाएं आवंटित की जाती है, सरकार परियोजना के आवंटन तथा परियोजना आरम्भ होने के दो वर्ष के उपरान्त पूर्ण विनिवेश की किसी भी अवस्था के दौरान प्रमोटरों द्वारा 49 प्रतिशत इक्विटी शेयर को बेचने अथवा हस्तांतरण के आवेदन पर विचार कर सकती है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मूल हिमाचलियों, जिन्हें दो मैगावाट से पांच मैगावाट क्षमता की परियोजनाएं आवंटित की जाती हैं, सरकार परियोजना के आरम्भ होने के दो वर्ष उपरान्त पूरे विनिवेश तथा परियोजना के आंवटन के बाद किसी भी चरण में गैर हिमाचलियों को 51 प्रतिशत इक्विटी शेयर को बेचने अथवा हस्तांतरित करने के प्रमोटर के आवेदन पर विचार कर सकती है।
बैठक में किन्नौर जिले में कडछम-वांगतू जल विद्युत परियोजना के निर्माण स्थापना के लिए मैसर्ज जय प्रकाश पावर वैंचर लिमिटड को पट्टे पर भूमि प्रदान करने को मंजूरी दी गई। मंत्रिमण्डल ने जांगी-थोपन (480 मैगावाट) तथा थोपन पवारी (960 मैगावाट) की जल विद्युत परियोजनाओं के लैटर आफ इंटेंट की वैद्यता बढ़ाने का निर्णय लिया। बैठक में 104 मैगावाट की तांदी तथा 130 मैगावाट की राशिल जल विद्युत परियोजनाओं के आवंटन का निर्णय भी लिया गया। बैठक में हिम ऊर्जा की संतुतियों के आधार पर पात्र आवेदकों को दो मैगावाट से पांच मैगावाट क्षमता की 24 जल विद्युत परियोजनाओं के आवंटन की भी स्वीकृति प्रदान की गई।
स्वास्थ्य क्षेत्रः मंत्रिमण्डल ने स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय के अन्तर्गत सामान्य ड्यूटी चिकित्सा अधिकारियों की सेवा निवृति आयु को बढ़ाकर 60 वर्ष करने का निर्णय लिया। स्वास्थ्य विभाग में समस्त पात्र चिकित्सा अधिकारियों को विभागीय परीक्षा पास करने की शर्त में छूट प्रदान करते हुए 4-9-14 पे स्केल प्रदान करने को कार्योत्तर स्वीकृति भी प्रदान की गई। जनजातीय तथा दुर्गम क्षेत्रों (काजा व केलंग) के लोगों को विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से मंत्रिमण्डल ने अपोलो अस्पताल इंटरप्राईज लिमिटेड के साथ एक वर्ष की अवधि के लिए अनुबंध बढ़ाने को मंजूरी प्रदान की।