शिमला। सेब बागीचों में रूट रॉट यानी जड़गलन रोग एक बड़ी समस्या है। यह रोग जमीन के नीचे जड़ों में पनपने के कारण अकसर बागवानों का इसका समय पर पता नहीं लग पाता है और अंततः पौधा मर जाता है। हालांकि पौधा रोग का प्रकोप होते ही आपको बदलते लक्षणों से इसकी जानकारी दे देता है और जागरूक बागवान समझ जाते हैं।
सेब के पौधों में रूटरॉट की पहचान कैसे करें- सेब के पौधे में यदि सुषुप्तावस्था (डोरमेंसी) के बावजूद पत्ते नजर आएं तो समझ जाइये उसकी जड़ों में सड़न रोग लग चुका है, जिसका तुरंत निदान करने की आवश्यकता है। रोगग्रस्त पौधे में पत्तियां लाल या कुछ बैंगनी रंग की (देखें वीडियो) देखी जा सकती हैं। यही नहीं बरसात के मौसम में भी यदि पौधों की पत्तियां सामान्य पौधों से हटकर पीलापन लिए हुए हों तो भी आपको सचेत हो जाना चाहिए।
निदानः जड़गलन रोग से ग्रस्त पौधे के तौलिए में तुरंत खुदाई कर रोगी जड़ों की पहचान कर लें। सड़ गल चुकी जड़ों को पीछे स्वस्थ भाग से काट कर अलग कर लें। कटे भाग पर चौपटिया पेस्ट या कोई अन्य रोग रोधक पेस्ट लगाएं और गली सड़ी जड़ों को बागीचे से दूर फेंक दें।
इसके बाद 200 लीटर पानी में 2 किलोग्राम चूना और 2 किलोग्राम नीलाथोथा की दर से घोल बनाएं और प्रति पौधे के तौलिए में मुख्य तने के आसपास 15 से 20 लीटर घोल डालें। यह कार्य मार्च, अप्रैल माह में करना ज्यादा लाभकारी रहता है। पौधों के तौलिए इस तरह बनाएं कि उसमें वर्षा का पानी ज्यादा समय तक खड़ा ना हो।