रिकांगपिओ (किन्नौर)। जनजातीय जिला किन्नौर में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना शौंगठोंग में मजदूरों का पिछले 70 दिनों से चला आ रहा आंदोलन अब सत्ता के साथ सीधे टकराव की ओर बढ़ने लगा है। आंदोलनकारी मजदूरों के कैंप पर मंगलवार को कांग्रेस से जुड़े संगठन इंटक ने पहले पथराव किया और फिर लोहे की राड़ और डंडों से मजदूरों पर हमला बोल दिया। एक मजदूर मदन भंडारी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया है।
शौंगठोंग परियोजना में पिछले तीन माह के बकाया वेतन और श्रम कानूनों को लागू करने की मांगों को लेकर यह आंदोलन मजदूर संगठन सीटू के नेतृत्व में चल रहा है। सीटू के राज्य उपाध्यक्ष विहारी सेवगी ने आरोप लगाया है कि मजदूरों पर यह हमले सरकार के इशारे पर हो रहे हैं। प्रशासन में परियोजना क्षेत्र में धारा 144 लगा रखी है। आंदोलनकारियों की धरपकड़ चल रही है।
सीटू नेताओं ने बताया कि इंटक के हमले के समय कैंप में मजदूर अधिक नहीं थे अन्यथा कोई बड़ी अनहोनी घट सकती थी। सीटू ने इस हमले की शिकायत स्थानीय पुलिस स्टेशन में की, लेकिन कथित सरकारी दवाब के कारण पुलिस देर शाम तक भी मामला दर्ज करने से कतराती रही।
सीटू से जुड़े मजदूरों- रमेश, रियान, मदन भण्डारी, विकास आदि ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि मंगलवार दिन के करीब दो— तीन बजे इंटक के जिला अध्यक्ष मान चन्द नेगी, प्रदेश सचिव कुलवंत नेगी और हरीश, सुनील, ज्ञान चन्द, सोमेश्वर व हितेश आदि करीब 35-40 लोगों ने पहले तो रल्ली लेबर कैंप पर पथराव किया और उसके बाद कैंप में घुसकर लोहे की राड़ और लाठियों से उनकी पिटाई की। घटना के समय वे (रमेश, रियान, मदन भण्डरी व विकास) सहित केवल 5– 6 लोग ही कैम्प में थे। मदन भण्डरी को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया।
सीटू के राज्य उपाध्यक्ष विहारी सेवगी और करछम- वांगतू व बास्पा परियोजना वर्कर्स यूनियन के प्रधान जीवन नेगी और प्रेस सचिव अनुप नेगी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए प्रशासन से मांग की कि हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने एक बयान में कहा कि शौंगठोंग परियोजना के सैकड़ों कामगार अपनी जायज मांगों को लेकर गत दो मास से भी अधिक समय से आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान कराने के बजाए कांग्रेस पार्टी के कुछ पदाधिकारी तो सीटू को ईंट का जबाब पत्थर से देने की धमकियां दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मजदूरों पर हमले सरकार के इशारे पर ही हो रहे हैं। जनता द्वारा चुनी गई सरकार का मजदूरों से यह व्यवहार दुर्भाग्यूर्ण है।
पत्रकारों ने इस मामले में किन्नौर के पुलिस अधीक्षक खुशाल शर्मा से बात की तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।