वीरभद्र सिंह ने अपने पिछले मुख्यमंत्रित्वकाल में भरमौर में भी एक जनसभा में कहा था, “भरमौर विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से जितना धन आता है, उसे यदि सही ढंग से खर्च किया जाता तो यहां की सड़कें कंक्रीट की नहीं, चांदी की होतीं। यह धन जाता कहां है, मुझे सब पता है।”
———–
शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बेलगाम ठेकेदारों को फटकार लगाई तो राज्य में बढ़ती ठेकेदारी प्रथा का मुद्दा फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया है। रोहड़ू में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा- “रोहड़ू में लोक निर्माण विभाग को अधिकारी नहीं, भ्रष्ट ठेकेदार चला रहे हैं। सरकार को लूटने का काम हो रहा है। सूबे में ठेकेदारों की लूट के लिए कानून बनाया जाएगा, जिसमें उनकी जवाबदेही तय होगी। ” माकपा के पूर्व राज्य सचिव राकेश सिंघा ने तुरंत अगले ही दिन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा- “जनाब, यही तो हम भी पिछले कई वर्षों से कहते आ रहे हैं। अब तो हमारी बात मानो और प्रदेश को ठेकेदारों के चंगुल से बचाओ।”
वीरभद्र सिंह ने अपने पिछले मुख्यमंत्रित्वकाल में भरमौर में भी एक जनसभा में कहा था, “भरमौर विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से जितना धन आता है, उसे यदि सही ढंग से खर्च किया जाता तो यहां की सड़कें कंक्रीट की नहीं, चांदी की होतीं। यह धन जाता कहां है, मुझे सब पता है।” उस समय कुछ स्थानीय लोगों ने पत्रकारों को बताया था कि वहां लोक निर्माण विभाग ने पिछले पांच वर्षों में एक पुलिया का पांच बार मात्र कागजों में निर्माण किया। कागजों में पुलिया बनती, वर्षा ऋतु में टूट जाती, फिर बनती, फिर टूटती। लेकिन वास्तव में पुलिया का काम कभी हुआ ही नहीं।
मुख्यमंत्री सब जानते हैं कि सरकारी धन का दुरुपयोग कहां और किस प्रकार होता है। लेकिन इसे रोकने के लिए वे कुछ नहीं कर पा रहे। सभी जानते हैं कि वीरभद्र सिंह जब ठेकेदारों को फटकारते हैं तो परोक्ष रूप से अपनी ही पार्टी के छुटभैये नेताओं को फटकार रहे होते हैं। ठेकेदारों में 90 प्रतिशत तो अपनी पार्टी के स्थानीय नेतागण ही होते हैं, जो सत्ता की धौंस जमाकर मनमानी करते हैं और विभागीय अधिकारियों को कुछ भी नहीं समझते।
यह हमेशा ही होता आया है। कांग्रेस सरकार के समय कांग्रेसी ठेकेदारों की बल्ले बल्ले तो भाजपा के शासनकाल में भाजपाई ठेकेदारों की पौ बारह। यहां जनजातीय और अन्य दूरस्थ क्षेत्रों में तो कांग्रेस और भाजपा का ग्रास रूट कॉडर ये ठेकेदार ही हैं। मौजूदा व्यवस्था में इन्हें फटकारा तो जा सकता है, ठीक करना आसान नहीं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मंगलवार को रोहड़ू में कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के भवन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा- “ ठेकेदार रोहड़ू को बदनाम कर रहे हैं। यहां लोक निर्माण विभाग को अधिकारी नहीं, भ्रष्ट ठेकेदार चला रहे हैं। सरकार को लूटने का काम हो रहा है।” उन्होंने ठेकेदारों से कहा कि वे ‘काम का पैसा खाएं- हराम का नहीं।’ मुख्यमंत्री ने लगे हाथ यह भी घोषणा कर दी कि राज्य में ठेकेदारों की लूट के लिए कानून बनाया जाएगा, जिसमें उनकी जवाबदेही तय होगी।
रोहड़ू क्षेत्र में लोक निर्माण, आईपीएच और बिजली बोर्ड के डिवीजन भ्रष्टाचार के लिए लंबे समय से विवादों में हैं। राजनीतिक रसूख के कारण काम की गुणवत्ता भी ठेकेदार ही तय करते हैं। अधिकारी दबाव में रहते हैं। ठेकेदारों की सचिवालय में पहुंच होने के कारण मनमानी से रोकने वाले अधिकारियों के तबादले भी चर्चा में रहे हैं। विभागों में एक काम के दो- दो बार बिल बनने की भी शिकायतें आईं, लेकिन किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। रोहड़ू दौरे के दौरान मुख्यमंत्री के सामने आम जनता की ओर से यह शिकायतें मुखरता से उठीं तो उनका भड़कना स्वाभाविक था। उन्होंने सार्वजनिक रूप से ठेकेदारों और अफसरों की खूब क्लास ली।
ऊधर, शौंग -ठोंग परियोजना के मजदूरों की मांगों के समर्थन में पिछले पांच दिनों से शिमला में भूखहड़ताल पर बैठे माकपा नेता राकेश सिंघा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा- “शौंग ठोंग परियोजना में भी इसी तरह ठेकेदारों, नेताओं और अधिकारियों के नापाक गठबंधन के कारण मजदूरों का घोर उत्पीड़न हो रहा है। सैकड़ों मजदूर पिछले 112 दिनों से हड़ताल पर हैं। इसलिए कुछ करो और मजदूरों को न्याय दिलाओ।”