शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शनिवार को शिमला में 41 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित न्यायिक परिसर का लोकार्पण किया।
वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिमला स्थित जिला न्यायालय को नवनिर्मित परिसर में स्थानान्तरित करने से न केवल अधिवक्ताओं और लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि इससे शहर में भीड़भाड़ एवं यातायात कम करने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस भव्य परिसर के निर्माण पर जो धनराशि खर्च की गई है वह अभी तक राज्य में निर्मित किसी भी सरकारी भवन की निर्माण लागत से अधिक है।
नव निर्मित न्यायिक परिसर में धरातल सहित चार-चार मंजिलों के दो विशाल खण्ड हैं। यह परिसर न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और लोगों को एक ही स्थान पर सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा। क्षेत्रफल के लिहाज से यह परिसर प्रदेश सचिवालय भवन के बाद दूसरे स्थान पर है और इसका क्षेत्र राज्य उच्च न्यायालय भवन के क्षेत्रफल के समकक्ष है।
मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित न्यायिक परिसर को देश के सर्वश्रेष्ठ न्यायिक परिसरों में से एक बताते हुए कहा कि यहां न्यायाधीशों एवं अपीलकर्ताओं को सुविधा मिलेगी। उन्होंने इस भव्य निर्माण को समयबद्ध सीमा में पूरा करने के लिए लोक निर्माण विभाग के अभियन्ताओं और इस काम में सलंग्न ठेकदार की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित बनाएगी कि परिसर तक सड़क मार्ग समुचित निकासी के साथ पक्के हों। अधिवक्ताओं के कक्ष निर्माण की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।
वीरभद्र सिंह ने कहा, ‘मैं नगर निगम शिमला के कुछ कार्यालयों को पुराने जिला न्यायालय परिसर में स्थानान्तरित करने पर सहमत नहीं हूं, क्योंकि पुराने न्यायालय परिसर में मुरम्मत एवं जीर्णोंद्धार का काफी कार्य किया जाना है तथा बाद में इसे उपायुक्त कार्यालय के लिए प्रयोग में लाया जाएगा। ‘
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यहां स्थित पुस्तकालय में अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान करने के लिए 5 लाख रुपये देने की घोषणा भी की।
मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति कुरियन जोसेफ ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह हर्ष का विषय है कि देश के सर्वश्रेष्ठ भवनों में से एक का आज लोकार्पण किया गया। उन्होंने इस भवन के सपने को साकार करने के लिए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति वीके गुप्ता के प्रयासों को याद किया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में न्यायामूर्ति आरबी मिश्रा, न्यायामूर्ति दीपक गुप्ता और अन्य न्यायाधीशों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
उन्होंने कहा कि लोगों को न्याय दिलाना हमारा कर्तव्य है और ऐसा करते समय जनहित का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। उन्होंने प्रभावी सेवाएं प्रदान करने एवं मामलों के त्वरित निपटारे के लिए सभी के सहयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को समयबद्ध सीमा में न्याय प्रदान करना हमारा कर्तव्य है। हमें गरीब, जरूरतमंद और पीडि़त लोगों को न्याय उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि न्याय प्रणाली में उनका विश्वास बना रहे। उन्होंने कहा कि हमें न्यायिक संस्था की गरिमा को हर हाल में बनाए रखना होगा, क्योंकि यह एक जन संस्था है, जो कि आम जनता की सेवा के लिए बनी है।
न्यायामूर्ति आरबी मिश्रा, जिला बार एसोसियेशन के अध्यक्ष संदीप दत्ता, और शिमला के मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी पीएस सम्याल ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए।
न्यायामूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायामूर्ति डीडी सूद, न्यायामूर्ति वीके आहूजा, न्यायामूर्ति एसएस ठाकुर, न्यायामूर्ति संजय करोल, न्यायामूर्ति कुलदीप सिंह, न्यायामूर्ति राजीव शर्मा, न्यायामूर्ति वी.के. शर्मा, न्यायामूर्ति डी.के. चौधरी, विधायक अनिरुद्ध सिंह, हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष सुभाष मंगलेट, मुख्य सचिव एस रॉय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वीसी फारका, मुख्यमंत्री के सलाहकार टीजी नेगी, महाधिवक्ता श्रवण डोगरा, सचिव सामान्य प्रशासन भरत खेड़ा, उपायुक्त शिमला दिनेश मल्होत्रा, पुलिस अधीक्षक शिमला अभिषेक दुल्लर, नगर निगम शिमला के आयुक्त अमरजीत सिंह, लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियन्ता प्रदीप चौहान, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, अधिवक्ता एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने किया भव्य न्यायिक परिसर का लोकार्पण
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