शिमला। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि प्रदेश सरकार को बल्ह की उपजाऊ भूमि पर हवाई अड्डा बनाने की जिद छोड़ कर इसे किसी दूसरे स्थान पर बनाना चाहिए। देश का भूमि अधिग्रहण कानून-2013 भी इसकी इजाजत नहीं देता है। माकपा ने यह आशंका भी जताई है कि जिस तरह कांगड़ा का गगल हवाई अड्डा बेचा जा रहा है, उसी तरह बल्ह हवाई अड्डे को भी अंततः चहेते पूंजीपतियों के हाथों बेचा जा सकता है।
माकपा के राज्य सचिव ओंकार शाद ने इस आशय के एक प्रेस बयान में कहा कि प्रदेश सरकार मंडी जिला के बल्ह में हवाई अड्डा बनाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट मानकर चले हुए हैं। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे का प्रदेश के सभी लोग समर्थन करते हैं, परन्तु इसे बेहद उपजाऊ भूमि पर हजारों किसान परिवारों को उजाड़ कर नहीं बनाया जाना चाहिए।
ओंकार शाद ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कृषि के लिए सिर्फ 11 प्रतिशत ही जमीन है, सेटेलाइट चित्र के अनुसार यह जमीन 16 प्रतिशत है। एक लाख बीघा कृषि भूमि पहले ही जल विद्युत परियोजनाओं की भेंट चढ़ चुकी है। आज भी उजड़े लोग दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। उन्हें अभी भी अपनी जमीन का पूरा मुआबजा नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अनाज के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है। बाहरी राज्यों से अनाज की आपूर्ति करनी पड़ती है। इस हालत में प्रदेश सरकार बल्ह, जो मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है, में हवाई अड्डा बनाने के लिए लोगों को उजाड़ने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि देश का भूमि अधिग्रहण कानून 2013 भी 3 फसलों वाली जमीन अधिग्रहण करने की इजाजत नहीं देता है। इस हवाई अड्डा के लिए 12 गांवों के 2000 परिवारों के 10,000 लोग पूरी तरह से उजड़ जाएंगे। इसके अतिरिक्त 2000 के करीब प्रवासी मजदूरों को भी उजडना पड़ेगा।
ओंकार शाद ने कहा कि इस जमीन पर लोग एक साल में तीन नकदी फसलें उगाते हैं। प्रदेश में इतनी उपजाऊ भूमि बहुत कम है। हवाई अड्डा ऐसी जगह बनाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सीपीआई(एम) इसी कारण बल्ह में हवाई अड्डे का विरोध करती है और चाहती है कि इसे दूसरी जगह बनाया जाये। जाहू में भी खाली जगह है, इसे वहां भी बनाया जा सकता है।
ओंकार शाद ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार नवउदारवादी नीतियां लागू कर देश के हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, सरकारी कारखानों, बैंकों, बीमा कंपनियों तथा दूसरे संस्थानों को एक-एक कर बेच रही है। कांगड़ा का गगल हवाई अड्डा भी अमृतसर हवाई अड्डा के साथ बिक रहा है। कल को बल्ह हवाई अड्डा भी किसानों को उजाड़ कर चहेते पूंजीपतियों को बेचा जा सकता है।