शिमला। एसएफआई की हिमाचल राज्य कमेटी ने प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों- APG और MBU द्वारा बड़े पैमाने में फर्जी डिग्रियां वितरित किए जाने के उजागर हुए मामले पर कड़ा रोष प्रकट किया है और इसे सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। एसएफआई इस भ्रष्टाचार के विरोध में 26 फरवरी को निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के नियंत्रक का घेराव करेगी।
एसएफआई राज्य सचिव अमित ठाकुर और राज्य अध्यक्ष रमन थारटा ने यहां जारी एक बयान में कहा कि एसएफआई हमेशा से ही शिक्षा के व्यापारीकरण का विरोध करती आई है। बावजूद इसके प्रदेश में रही सरकारों ने शिक्षा को धड़ाधड़ निजी हाथों में सौंपने का काम किया। इसी के दुष्परिणाम आज सबके सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार की इस नीति के तहत आज सरकारी शिक्षण संस्थानों की संख्या लगातार घट रही है। शिक्षा के लिये सरकारी बजट में कटौती कर इन संस्थानों में मूलभूत सुविधाओं को खत्म किया जा रहा है और फीस वृद्धि कर आम छात्रों को शिक्षा से दूर किया जा रहा है। सरकारों ने यहां निजी स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षा को एक बाजार का रूप दे दिया गया है, जहां छात्रों को ग्राहक के रूप में देखा जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण ही आज इन निजी संस्थानों में डिग्रियों की खरीद फरोख्त, प्रवेश प्रक्रिया व परिणाम से सम्बंधित व्यापक भ्रष्टाचार फैला है। उन्होंने कहा कि केवल इन दो विश्विद्यालयों की बात नहीं है, प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थान पिछले 3 सालों से एससी ,एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति हज़म कर रहे हैं, उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर निर्धारित से अधिक फीस वसूली जा रही है।
उन्होंने आरोप लगाया सरकार की खुली छूट और निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की चुप्पी के चलते आज यह नतीजा फर्जी डिग्री वितरण के रूप में सामने आया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार शीघ्र इस मामले में हस्तक्षेप कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाही करे।