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नई दिल्ली। संसदीय चुनाव के इस दौर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब के कुछ अंश सार्वजनिक हो जाने से बखेड़ा खड़ा हो गया है। इस किताब में मनमोहन सिंह को एक निष्क्रिय और शक्तिहीन प्रधानमंत्री कहा गया है। संजय बारू ने दावा किया है कि मनमोहन सिंह ने दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और सहयोगी दलों के समक्ष घुटने टेक दिए थे।
संजय बारू वर्ष 2004 से 2008 के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे। इस किताब ने विपक्षी दलों को चुनाव प्रचार के लिए एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है। उधर, प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक वक्तव्य जारी करके इसे अपने पद का दुरुपयोग करके आर्थिक फायदा उठाने वाला कदम बताया है। वक्तव्य में किताब के अंशों को संजय बारु की कल्पना बताया गया है।
किताब में बारु ने दावा किया है कि मनमोहन सिंह ने उनसे कहा कि किसी सरकार में सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते। तीन सौ पन्नों से ज्यादा वाली इस किताब ‘द ऐक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ़ मनमोहन सिंह’ में संजय बारू ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने उनसे कहा, “इससे गड़बड़ी फैलती है। मुझे मानना पड़ेगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र हैं। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है।”
संजय बारु लिखते हैं कि 2009 में पार्टी की चुनावी जीत के बाद मनमोहन सिंह का यह मानना कि यह उनकी जीत थी, उनकी सबसे बड़ी ग़लती थी। हो सकता है कि मनमोहन सिंह ने खुद को विश्वास दिला लिया हो कि उनके प्रदर्शन के कारण ही वो दोबारा प्रधानमंत्री बन पाए, लेकिन सोनिया गांधी इस बात से असहमत थीं।
संजय बारु के अनुसार मनमोहन सिंह ए राजा और टीआर बालु को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करना चाहते थे। वे बालु के मामले में तो कामयाब रहे, लेकिन ए राजा को मंत्रिमंडल में आने से नहीं रोक पाए। बारु के मुताबिक सोनिया गांधी का जून 2004 मे सत्ता त्याग देना अंतरआत्मा की आवाज़ सुनने का नतीजा नहीं था बल्कि एक राजनीतिक क़दम था।