बिलासपुर। दूषित पेयजल की आपूर्ति के कारण बिलासपुर नगर के साथ लगती नौणी पंचायत में आंत्रशोथ ने खतरनाक रूप से
मंडी- माणवा के स्वास्थ्य केंद्र में शनिवार को भी सुबह से ही मरीजों की लाइन लगी रही। स्वास्थ्य विभाग ने यहां तैनात चिकित्सक डा. इंदु चौहान की छुट्टी रद कर दी है। मंडी-माणवा और जबली गांवों में अभी भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। हर घर में कोई न कोई उल्टी-दस्त की चपेट में है। मरीज बाबू राम ने बताया कि दो दिन से उसे उल्टी दस्त लगे हैं तथा दवाई लेने के बाद भी कोई असर नहीं हो रहा। सूरज, सुनीता और विशाखा के अनुसार उल्टी-दस्त के कारण वे बहुत कमजोरी महसूस कर रहे हैं।
चिकित्सक दीपक ठाकुर के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्रभावित गांवों का मुआयना करते हुए लोगों को क्लोरीन, ओआरएस और जरूरी दवाइयां दीं। गंभीर रूप से बीमार लोगों का घर पर जाकर उपचार किया जा रहा है। आईपीएच विभाग की टीम ने भी मौके का दौरा कर पेयजल योजनाओं का क्लोरीनेशन किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने सुपर क्लोरीनेशन के आदेश दिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने आंत्रशोध से पीड़ित रोगियों का हालचाल जानने के बाद मीडिया को बताया कि यहां के लिए शिमला से चिकित्सकों की टीमें भेजी जा रही हैं। ये टीमें यहां तब तक अपनी सेवाएं देगी जब तक सभी मरीज स्वस्थ नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने नल का पानी पिया है, वे ही लोग ज्यादातर आंत्रशोध से पीड़ित हुए हैं तथा जिन लोगों ने हैंडपंप का पानी पिया, वे ठीक है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमएल कौशल ने भी शुक्रवार को आंत्रशोथ से प्रभावित गांवों का दौरा किया और चिकित्सकों को आवश्यक निर्देश जारी किए। उन्होंने बताया कि गत 26 से 30 नवंबर तक उल्टियां व दस्त से पीडि़त 333 लोग इलाज के लिए अस्पताल आए थे, जिसमें से 63 लोगों को उपचार के लिए दाखिल करना पड़ा। इनमें से 18 रोगियों को स्वास्थ्य लाभ के बाद छुट्टी कर दी गई है तथा अब जिला अस्पताल में 45 रोगी रह गए हैं। उनके अनुसार स्थिति नियंत्रण में है।