देहरादून। उत्तराखंड के शिक्षक समाज में हड़कंप मचा हुआ है। शिक्षकों की स्कूलों से अनुपस्थित रहने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अदालत की
शिक्षा विभाग के दस्तों ने अभियान के तीसरे दिन वीरवार को की छापेमारी में टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले में 3-3, चंपावत में दो और पौड़ी व देहरादून जिले में एक-एक शिक्षक गायब पाए। शिक्षा महानिदेशक राधिका झा ने तुरंत एक प्रधानाध्यापक समेत इन दस शिक्षकों को निलंबित करने के निर्देश दिए। इनमें दो शिक्षक लंबे अरसे से गैरहाजिर चल रहे थे। बागेश्वर जिले में एक प्राथमिक विद्यालय बंद मिला। एक विद्यालय में मिड-डे मील नहीं बन रहा था।
न मिले बच्चे, न शिक्षक, न ही मिड डे मिलः रुड़की। समूचे हरिद्वार जिले में सरकारी विद्यालयों में न उम्मीद के मुताबिक बच्चे मिले, न ही शिक्षक मिले और न मिड डे मील ही बनता मिला। मंगलवार को मुख्य शिक्षा अधिकारी मुकुल सती, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक जगमोहन सोनी, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक डॉ. विद्याशंकर चतुर्वेदी ने दस टीमें गठित कर रुड़की, भगवानपुर, बहादराबाद, नारसन, लक्सर, खानपुर, नगर क्षेत्र हरिद्वार स्थित राजकीय, माध्यामिक व इंटर कॉलेजों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान लक्सर ब्लॉक के ग्राम भिक्कमपुर स्थित विद्यालय में चार शिक्षक अनुपस्थित मिले, जबकि अहलावलपुर स्थित एक विद्यालय में पाया गया कि एक शिक्षक वर्ष 2012 से ही अनुपस्थित चल रहा था। विभिन्न विद्यालयों में 43 शिक्षक नहीं मिले, जबकि सात विद्यालयों में पाया गया कि वहां मिड-डे मिल नहीं बन रहा था।
बंद मिले विद्यालय, वेतने रोकने का आदेशः द्वाराहाट। औचक निरीक्षण के दौरान जूनियर हाईस्कूल नैनी डडगलिया बिना कारण बंद पाया गया और बच्चों के इधर-उधर घूम रहे थे। यहां प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक का वेतन रोकने के आदेश के साथ ही विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई। बच्चों व उनके अभिभावकों ने बताया गया कि विद्यालय अधिकांशतः बंद ही रहता है। शिक्षक यदा-कदा ही आते हैं। अभिभावक अधिकारियों के आगे गिड़गिड़ाने लगे कि- साहब विद्यालय में शिक्षक भेज दो ताकि बच्चों की पढ़ाई हो सके। निरीक्षण के दौरान राजकीय प्राथमिक विद्यालय दैना भी समय से पूर्व बंद मिला।
टल्ली होकर स्कूल पहुंचे गुरूजीः लोहाघाट। ग्रामीणों की शिकायत पर खंड शिक्षाधिकारी रमेश राम ने राप्रावि बन्जवाड का औचक निरीक्षण किया तो पाया कि विद्यालय के दरवाजे पर ताला लटका हुआ था। विद्यालय खुलने का समय आमतौर पर 9 से 9:30 बजे का होता है। बीईओ रमेश राम ने बताया कि करीब 10:30 बजे शिक्षक पहुंचे और आनन-फानन में विद्यालय का ताला खोला। रजिस्टरों की जांच में पाया गया कि एक नवंबर को भी विद्यालय बंद था। विद्यालय में कुल 30 बच्चों में से केवल आठ उपस्थित पाए गए। इस दौरान कक्षा तीन के बच्चों से तीन का तथा कक्षा 4 व 5 के बच्चों से नौ का पहाड़ा पूछा गया, बच्चों को पहाड़ा नहीं आया। अध्यापक को कक्षा में बच्चों की संख्या तक नहीं पाता थी। अध्यापक के मुंह से शराब की बू आ रही थी।
बायोमेट्रिक मशीन में लगेगी शिक्षकों की हाज़िरीः शिक्षकों की गैरहाजरी को लेकर एक जनहित याचिका पर कड़ा संज्ञान लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि राज्य के सभी 70 कॉलेजों में यूजीसी के मानकों के अनुसार शिक्षण कार्य सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक मशीनें लगाई जाएं। अदालत के इस आदेश से शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। राजधानी देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज के शिक्षकों और कुछ अन्य कॉलेजों के शिक्षकों ने तो इसके विरूद्ध हस्ताक्षर अभियान छेड़ दिया है। इन शिक्षकों का कहना है, ‘’अदालत का यह आदेश शिक्षकों की गरिमा के ख़िलाफ़ है, क्योंकि शिक्षक सिर्फ़ पढ़ाते ही नहीं है बल्कि शोध भी करते हैं, फ़ील्ड में जाते हैं और पढ़ाने की तैयारी करते हैं। उनके काम के घंटे को किसी मशीन से नहीं आंका जा सकता।”
शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी कहते हैं, “लापरवाह शिक्षकों के प्रति कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जब शिक्षक स्कूल में ही नहीं रहेगा तो छात्रों का विकास कैसे होगा।”