टिहरी गढ़वाल। भिलंगना प्रखंड के दल्ला गांव में परंपरा के अनुसार तीन साल बाद जब कुल देवता नागराजा बाहर निकले तो क्षेत्र में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। इस
भिलंगना प्रखंड के दल्ला गांव में नागराजा ग्रामीणों के ईष्ट देव हैं। इसे क्षेत्र के देवी-देवताओं में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। नागराजा का निशान हर तीसरे साल बाहर निकाला जाता है। सोमवार को सुबह विधिवत पूजा-अर्चना कर नागराजा के निशान को बाहर निकाला गया। इस अवसर पर क्षेत्र के सात गांवों के देवी-देवता और उनके पस्वा (गूर) भी पहुंचे। ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया और फिर इन देवी-देवताओं को नचाया भी गया। इस अवसर पर पांडव नृत्य का भी आयोजन किया गया।
नागराजा के पुजारी सुंदरलाल रतूड़ी ने बताया कि एक दंतकथा के अनुसार वर्षों पूर्व सेम-मुखेम के ग्रामीण अपने निशान को बदरीनाथ ले गए थे। वापसी के दौरान जब उन्होंने दल्ला गांव में विश्राम किया तो निशान जमीन से उठा ही नहीं और यहीं पर जम गया। तब से आज तक यह निशान दल्ला गांव में ही है और असली नागराजा का निशान यही है।
स्थानीय ग्राम पंचायत की सदस्य रजनी नेगी और अन्य ग्रामीणों- विनोद रतूड़ी व चंद्रवीर आदि का कहना है कि इस अनूठी पहाड़ी संस्कृति को संजोए रखने के लिए सरकार को मंदिर के सौंदर्यीकरण और मेले के भव्य आयोजन के लिए आगे आना चाहिए।
भिलंगना प्रखंड में देव-मिलन की अनूठी परंपरा
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