शिमला। कांग्रेस हाईकमान ने संसदीय चुनाव से ठीक पूर्व हिमाचल प्रदेश को लेकर स्पष्ट संकेत दे दिया कि जो गलती उसने विधानसभा चुनाव से पूर्व की थी, वह अब नहीं होगी। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू को बदल कर उनके स्थान पर कुलदीप सिंह राठौर को अध्यक्ष बना दिया गया है। यही मांग विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हाईकमान से की थी, लेकिन हाईकमान ने बीच का रास्ता निकालते हुए पार्टी का प्रदेश प्रभारी बदल दिया था।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू छह वर्ष तक कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद पर रहे, लेकिन स्वयं को कभी भी गंभीर नेता साबित नहीं कर पाए। वे पार्टी में मात्र एक गुटबाज बने रहे, जिसका मुख्य लक्ष्य वीरभद्र सिंह और उनके कुछ समर्थकों पर बार- बार चोट करना ही था। विधानसभा चुनाव से पूर्व जब वीरभद्र- सुक्खू में जंग चरम पर पहुंच गई थी तो सुक्खू समर्थकों का एक धड़ा भाजपा के साथ पींगे झूलता नजर आया, जिसे सुक्खू की हाईकमान से ब्लैकमेलिंग माना गया। उस समय भी वीरभद्र सिंह ने हाईकमान को यह समझाने का प्रयास किया था कि सुक्खू खेमा उन्हें (वीरभद्र सिंह को) नीचा दिखाने के लिए भाजपा के हाथों खेल रहा है।
यह वो दौर था जब यहां कांग्रेस के अनेक बड़े नेता भी भाजपा का दामन थामने के लिए बेताब थे। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे अनिल शर्मा तो चले ही गए, जबकि शेष विद्रोही चुनाव में विभीषण की भूमिका निभाते नजर आए। उनकी ओर से बार- बार संकेत दिया जाता था कि यदि सुक्खू को अध्यक्ष पद से हटाया गया तो वे पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो जाएंगे। शायद यही वजह रही होगी जो हाईकमान ने सब कुछ जानते हुए भी उस समय संगठन में कोई फेरबदल नहीं किया।
विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी ने टिप्पणी की थी, “मैं गुजरात में पार्टी के प्रदर्शन से संतुष्ट हूं, लेकिन हिमाचल से नहीं।”हालांकि गुजरात और हिमाचल दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की हार हुई थी, लेकिन हिमाचल प्रदेश में हुई ‘ब्लैकमेलिंग’ को वे नहीं भुला पाए।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कुलदीप सिंह राठौर को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने का स्वागत करते हुए इसके लिए हाईकमान का आभार व्यक्त किया है और कहा कि, “कुलदीप राठौर की इस नियुक्ति से प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी।” उधर, कुलदीप सिंह राठौर ने भी प्रदेशाध्यक्ष बनाने के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी का आभार जताया और कहा, “प्रदेश में कांग्रेस की मजबूती के लिए सभी वरिष्ठ नेताओं का सहयोग लिया जाएगा। पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एक बैनर तले लाया जाएगा ताकि संसदीय चुनाव में सभी चारों सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित हो सके।” दोनों नेताओं के ये बयान कांग्रेस की सेहत के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।
कुलदीप सिंह राठौर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता आनंद शर्मा के खास समर्थकों में गिने जाते हैं। उनके पास संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। वे 1981 से 1987 तक एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष रहे और लंबे समय तक पार्टी के मुख्य वक्ता और मीडिया प्रभारी भी रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने कसुम्पटी/ ठियोग विधानसभा क्षेत्रों से टिकट की मांग भी की थी।