शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जैसे यह तीर अपने तरकस में संभाल के रखा हुआ था और ऐन मौके पर दाग दिया। कुछ इस तरह कि निशाना कहीं और तो चोट कहीं और…। मुख्यमंत्री ने मंडी प्रवास के दौरान यह बयान देकर कि संसदीय चुनाव में रानी प्रतिभा सिंह ब्राह्मणवाद का शिकार हुईं, प्रदेश की राजनीति को एक बार फिर से ब्राह्मण वनाम राजपूत में विभाजित करने का प्रयास किया है। तीर निशाने पर लगा तो समझो दोनों विरोधी- कौल सिंह ठाकुर और जीएस बाली चित्त।
प्रदेश में वीरभद्र सिंह सरकार का आधा कार्यकाल बीत जाने के बाद उनके दलगत विरोधियों या कहा जाए मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के हमलावर तेवर सामने आने लगे हैं। कौल सिंह ठाकुर की संगठनात्मक स्तर पर अपनी तैयारियां हैं तो गुरमुख सिंह बाली अपनी ही सरकार को कटघरे में रखते हुए पूरे प्रदेश में रोजगार यात्राएं निकालने की बात कर इरादे स्पष्ट कर चुके हैं और इसी सिलसिले में दिल्ली गए हुए हैं। ठीक ऐसे समय में मुख्यमंत्री ने अपने मंडी जिला के प्रवास के
दौरान बल्ह घाटी के कंसा चौक पर एक जनसभा के दौरान कह डाला कि संसदीय चुनाव में कोई मोदी लहर नहीं थी, बल्कि कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह यह चुनाव ब्राह्मणवाद के कारण हारीं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में मंडी में ब्राह्मणवाद चला। भाजपा प्रत्याशी, जो ब्राह्मण हैं, को कांग्रेस से जुड़े रहे एक पूर्व मंत्री (पं. सुखराम) का भी समर्थन मिला। यहां निशाना पं. सुखराम, जो आज राजनीति में प्रभावी नहीं हैं, पर लगाया गया, लेकिन रणनीतिकारों की मानें तो इसकी मार कौलसिंह ठाकुर और जीएस बाली दोनों को घायल कर सकती है।
वीरभद्र सिंह ने जातिवाद का पासा फेंक कर वास्तव में स्वयं को पार्टी में एकछत्र राजपूत नेता होने का दावा जताया है ताकि मंडी के राजपूत नेता कौलसिंह ठाकुर को वे उनके द्रंग विधानसभा क्षेत्र में ही पटखनी दे सकें।
उधर, जीएस बाली (गुरमुख सिंह बाली) की सबसे बड़ी परेशानी उनका ब्राह्मण होना ही है। उनके विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां में 85 प्रतिशत के करीब आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की है। इसी कारण बाली कभी भी स्वयं को ब्राह्मण कहलाना पसंद नहीं करते हैं
तथा उन्होंने अत्यंत कड़ी मेहनत से क्षेत्र में स्वयं को ओबीसी नेता के रूप में स्थापित कर रखा है। नगरोटा बगवां में जातिवाद का मामूली सा तड़का भी बाली के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। उनके पड़ोसी सुधीर शर्मा के द्वारा यह काम आसानी से कराया भी जा सकता है।
यही वो कारण हैं जो वीरभद्र सिंह के जातिवादी बयान की सोशल मीडिया में भी तीखी प्रतिक्रिया हुई है। हरि शर्मा नामक व्यक्ति ने फेसबुक में प्रतिक्रिया देते हुए कहा — राजा उवाचः “मंडी में ब्राह्मणों के कारण हारी रानी !”… ..तो क्या यह खुलासा भी करेंगे कि राजा के अपने विधानसभा हलके ‘ शिमला ग्रामीण’ में किस कारण फजीहत हुई कांग्रेस की ? क्या ब्राह्मण विरोधी हो गए हैं राजा ?
वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानु स्थितिको संभालने का प्रयास करते हुए कहते हैं- पंडित सुख राम कभी ब्राह्मणों के नेता नहीं रहे .
फेसबुक वॉल में इसी तरह की कुछ दिलचस्प टिप्पणियां पढ़ेः-
Karamvir Maali ….. तो परम ब्राहमण मुकेश अग्निहोत्री और सुधीर शर्मा इस्तीफा दें .
Dhiru Pandit ब्राह्मणों ने बहुत साथ दिया राजा का… अब ले लो बाबा जी का ठुल्लू…जय हो.
Sanjay Mahaan ब्राह्मणों को ललकार ? पतन का समय करीब आ पहुंचा है ….जय ब्राहमण .
Susheel Sharma बुद्धि भर्ष्ट हो गयी है।
Krishan Bhanu पंडित सुख राम कभी ब्राह्मणों के नेता नहीं रहे .
Karamvir Maali हे गुरमुख सिंह बाली ब्राह्मण ! दिल्ली से कुछ करके आओ …वर्ना हिमाचल में शक्ल न दिखाओ .
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Tulsi Raman विश्वास नहीं होता कि 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके राजा साब यहां आकर जात-पात का रोना रो रहे है । ये बयान में गलतफहमी हो सकती है ! अगर बयान सच है तो माननीय को अपने ज्योतिषी की तो राय लेनी चाहिए थी ।
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Kulbhushan Chabba जब बुद्धि भ्रस्ट होती है तो दिमाग में उथल पुथल मचनी शुरू हो जाती है।