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चामुंडा रज्जू मार्ग फिर चर्चा में

कांगड़ा जिले में रज्जू मार्गों की फाइलों में दफन हो चुकी योजनाएं एक बार फिर से चर्चा में आ गई हैं। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि प्रदेश सरकार ने पुरानी योजनाओं को भुला कर यहां प्राचीन मंदिर हिमानी चामुंडा तक रज्जू मार्ग बनाने की एक नई योजना के लिए प्रक्रिया शुरू की है। लोग चाहते हैं कि यह योजना पूरी हो और इसका हश्र भी पहले की तरह न हो।

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उल्लेखनीय है कि वर्ष 1977 से लेकर आज तक बनी भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने कांगड़ा जिले में विभिन्न पर्यटन एवं धार्मिक स्थलों के लिए रज्जू मार्ग बनाने की अनेक घोषणाएं कीं। सर्वेक्षणों के बाद शिलान्यास भी हुए, लेकिन बाद में ये योजनाएं चुनावी वायदे ही साबित हुईं और लोग ठगे के ठगे रह गए।
धर्मशाला-पालमपुर मार्ग पर स्थित चामुण्डा मंदिर पूरे उत्तरी भारत में प्रसिद्ध है। वास्तव में इस मंदिर का मूल स्थान वर्तमान स्थल के साथ लगते पहाड़ पर है, जिसे हिमानी चामुण्डा के नाम से जाना जाता है। चामुण्डा आने वालों में से अनेक श्रद्धालु इसके मूल स्थान हिमानी चामुण्डा भी जाते हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक लोगों को वहां पहुंचने के लिए लगभग 10 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती थी। लेकिन एनडीए सरकार के समय केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री शांता कुमार ने चामुण्डा से चामुण्डा हिमानी तक प्रधानमंत्री सड़क योजना के अन्तर्गत वाहन योग्य सड़क का निर्माण करवाया, जिससे श्रद्धालुओं को काफी राहत मिली। प्रदेश में धूमल सरकार ने अब इस मंदिर को रज्जू मार्ग से जोडऩे का निर्णय लिया है। पालमपुर तहसील के तहत गांव जिया से हिमानी चामुण्डा तक रज्जू मार्ग के निर्माण की बाबत प्रारंभिक सर्वेक्षण करवाया जा चुका है। तकनीकी तथा वित्तीय पहलुओं को ध्यान में रख कर पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग आगामी कार्यवाही करेगा।

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मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने धर्मशाला में इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के निर्देशों पर गत 9 मार्च को कांगड़ा जिला के जिलाधीश ने हिमानी चामुण्डा देवी मंदिर तक रज्जू मार्ग बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग के अभिशाषी अभियंता एवं निरीक्षक रोप-वे, वन मंडल अधिकारी धर्मशाला, हिमाचल राज्य विद्युत बोर्ड के धर्मशाला स्थित अधिशाषी अभियंता और जिला पर्यटन विकास अधिकारी की सदस्यता में एक कमेटी का गठन कर योजना पर काम शुरू किया था। गत 14 मई को इस कमेटी ने निर्माण स्थल से लेकर हिमानी चामुण्डा तक का निरीक्षण किया और 30 नवम्बर को इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना का उच्च अधिकारियों द्वारा अध्ययन किया जा रहा है। उसके बाद रज्जू मार्ग का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1977 में शांता कुमार के मुख्यमंत्रित्व काल में धर्मशाला के धर्मकोट से त्रियूंड तक एक रज्जू मार्ग बनाने के लिए शिलान्यास किया गया था, जिसकी शिलान्यास पट्टिका आज भी मौके पर मौजूद है। इसी तरह पूर्व कांग्रेस सरकार के समय पर्यटन मंत्री जीएस बाली ने धर्मशाला बस अड्डे से मैकलोडगंज बस अड्डे तक और वहां से धर्मकोट और फिर धर्मकोट से त्रियूंड तक के लिए रोप-वे बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने इसके लिए बाकायदा सर्वेक्षण भी करवाया था, लेकिन बाद में योजना फाइलों में ही गुम होकर रह गई। यही कारण है जो क्षेत्र के लोग सरकारों की इस तरह की घोणणाओं को आज संदेह की नजरों से ही देखते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि धूमल सरकार जिया- चामुण्डा रोप-वे बना कर लोगों के इस संदेह को दूर कर देगी।

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हिम न्यूज़पोस्ट.कॉम

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