शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ मनी लांड्रिंग के एक पुराने मामले में कार्रवाई तेज करते हुए सीबीआई ने अचानक कई जगह
सीबीआई और ईडी ने शनिवार को प्रातः वीरभद्र सिंह के दिल्ली, गुड़गांव और हिमाचल प्रदेश में स्थित 11 ठिकानों पर अचानक छापामारी की और कुछ अहम दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। छापामारी ठीक उस समय की गई जब हिमाचल में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के घर उनकी बेटी की शादी चल रही थी। प्रदेश कांग्रेस ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार देते हुए कहा है कि इससे केंद्र सरकार ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति का परिचय दिया है।
वीरभद्र सिंह के खिलाफ कुछ वर्ष पूर्व 6.59 करोड़ रुपये की मनीलांड्रिंग का केस बनाया गया था जब वे केंद्रीय इस्पातमंत्री थे। इस मामले में उनकी पत्नी और पुत्र को भी पार्टी बनाया गया है। वर्ष 2008 में वीरभद्र सिंह के पारिवारिक सदस्यों के नाम एक बीमा पॉलिसी के लिए आनंद चौहान नामक एक व्यक्ति ने एकमुश्त 6.59 करोड़ रुपये जमा किए थे। यह राशि कहां से आई, इसका आयकर विभाग को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया था।
प्रदेश सरकार को वीरवार को ही ऐसी किसी कार्रवाई की भनक लग गई थी। इस पर मुख्यमंत्री के चेंबर में सभी मंत्रियों ने एकत्रित होकर वीरभद्र सिंह के प्रति पूर्ण निष्ठा प्रकट की और शुक्रवार को इस आशय का एक संयुक्त हस्ताक्षरित बयान मीडिया को भी जारी किया। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नरेश चौहान ने पत्रकारवार्ता आयोजित कर केंद्रीय जांच एजेंसियों की इस कार्रवाई को एक राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया और कहा कि समूची कांग्रेस वीरभद्र सिंह के साथ चट्टान की तरह अडिग है। उन्होंने कहा कि एक पुराने मामले, जिसमें सीबीआई पहले भी जांच कर चुकी है और क्लीनचिट दे चुकी है, में केंद्र सरकार के दबाव में दोबारा जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजनीति पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
उद्योगमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का इस संबंध में कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में अघोषित आपातकाल लागू कर दिया है। विरोधियों को परेशान करने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस कोर्ट और जनता की अदालत में इसका डटकर मुकाबला करेगी।
राजनीतिक संकट की आहटः मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआई में प्राथमिकी दर्ज होने के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक संकट गहरने की भी आशंका है। वीरभद्र सिंह पर चहुंओर से त्यागपत्र के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसमें भाजपा के अतिरिक्त कुछ कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान पर वीरभद्र का त्यागपत्र मांग रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार इस मांग को हवा दे सकते हैं। परिवहन मंत्री जीएस बाली ने तो मीडिया से बातचीत करते हुए कह ही दिया कि, “पूर्व में मेरे खिलाफ जब मामला दर्ज हुआ था तो उनसे तुरंत त्यागपत्र ले लिया गया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री पं. सुखराम प्रकरण में तो उन्हें पार्टी से ही बर्खास्त कर दिया गया था।” शनिवार को ही एक अन्य मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पत्रकारों से कहा था कि वे इस मामले में पार्टी का पक्ष रखने के लिए दोपहरबाद पत्रकारवार्ता करेंगे, लेकिन बाद में वे नहीं आए और प्रेस कान्फ्रेंस के लिए पार्टी प्रवक्ता नरेश चौहान को भेज दिया। बताया जाता है कि सुक्खू को कौलसिंह ठाकुर गुट ने पत्रकारवार्ता करने से रोका था। वीरभद्र सिंह विरोधी जीएस बाली और कौल सिंह ठाकुर दोनों मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं।
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