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लोक संस्कृति

हिमाचल के पहाड़ों में गांधी के अनुयायी!

हिमाचल के दूरस्थ ऊपरी क्षेत्रों में आज भी ऐसे लोग मिल जाएंगे जो हर समय- चूल्हे के पास आग सेंकते… Read More

7 years ago

हिमाचल के ‘पहाड़ियों’ को सम्मान दिलाने वाले…

उस समय डा. यशवंत सिंह परमार पैदल ही क्षेत्र के नेताओं के साथ सोलन बाज़ार होते हुए राजगढ़ की ओर… Read More

7 years ago

कौन सा घी खाओगे, खरांवका या आंवड़ा !

पहाड़ों में खरांवका घी ही प्रयोग में लाया जाता है। यह घी खुशुबूदार और स्वाद में अद्वितीय होता है। ठेठ… Read More

7 years ago

पहाड़ीजनों की पसंदीदा डिश है- बिच्छु बूटी का साग

नाहन (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में सर्दियों के मौसम में लोगों की एक पसंदीदा डिश है- बिच्छु बूटी… Read More

7 years ago

कुल्लवी लोक नृत्यों में वीररस व श्रृंगाररस का संगम

कुल्लू जिला में प्रायः हर ग्राम्य देवता के अपने लोक गायक, लोक वादक और लोक वाद्य हैं। देवयात्रा के समय… Read More

7 years ago

उल्लुओं पर अलर्ट, लक्ष्मी मांगे अपने ‘वाहन’ की बलि!

देहरादून। तांत्रिकों, पंडितों के इस कुष्प्रचार कि धन की देवी लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू की बलि से बहुत प्रसन्न होती… Read More

8 years ago

लो जी, फिर सच हो गई ‘बांगा पाणी’ की भविष्यवाणी

नाहन। सिरमौर जिला में पैरवी नदी के उद्गम ‘बांगा पाणी’ झील (रौ) से पानी ओवर फ्लो होकर जब भयानक शोर… Read More

8 years ago

मछलियों के शिकार का अनूठा त्यौहार

मछलियों को अचेत करने के लिए टिमरू के तने की छाल से बनाए गए चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।हानिकारक… Read More

8 years ago