नई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। मतगणना के अंतिम दौर में पहुंचने तक गुजरात में भाजपा 100 से अधिक सीटों पर जीत चुकी है, जबकि कांग्रेस 75 सीटों पर सिमट गई। उधर, हिमाचल प्रदेश में भाजपा 40 से अधिक सीटें जीत चुकी हैं, जबकि कांग्रेस 22 सीटों पर ही सीमित है।
हिमाचल प्रदेश में 25 वर्षों बाद सीपीआई-एम भी एक सीट जीतने में कामयाब हुई है। सीपीआई-एम के पूर्व राज्य सचिव राकेश सिंघा 25 वर्ष बाद फिर से विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए हैं। वे पूर्व में शिमला शहरी सीट से जीते थे, जबकि इस बार ठियोग से जीते हैं।
गुजरात में भाजपा अपनी सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब हुई है। हालांकि उसे पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 12 सीटों का नुकसान होने की आशंका है, जबकि कांग्रेस 16 सीटों की बढ़त मिलन की उम्मीद है।
हिमाचल प्रदेश में पिछले करीब 30 वर्षों से कांग्रेस और भाजपा बारी- बारी सत्ता पर काबिज होती रही हैं। इस बार भाजपा ने यहां कांग्रेस से सत्ता छीन ली है। इसे यह भी कहा जा सकता है कि भाजपा ने सत्ता में अपनी बारी संभाल ली है।
हिमाचल प्रदेश के चुनाव की एक बड़ी खबर यह रही कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए। यही नहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती को भी पराजय का मुंह देखना पड़ा है। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष की इस पराजय को पार्टी की अंदरूनी राजनीति का परिणाम माना जा रहा है।
गुजरात में माना जा रहा है कि पटेलों के प्रमुख युवा नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस को पटेलों के वोट स्थानांतरित नहीं कर पाए। पटेल बहुत क्षेत्रों में कांग्रेस को बहुत कम सीटें मिली हैं। कांग्रेस के समर्थन में खड़े हुए दलित एवं ओबीसी नेता जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठकोर अपनी सीटें जीतने में कामयाब हुए हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रतिक्तियां देते हुए कहा है- “मैं पार्टी के प्रदर्शन से संतुष्ट हूं। इस हार से मुझे कोई निराशा नहीं है।” उल्लेखनीय है कि गुजरात में वर्ष 2012 के मुकाबले कांग्रेस के वोटों में 4 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है। यहां 2014 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।
गुजरात में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मतगणना के दौरान चुनाव आयोग की निष्पक्षता और EVM की वैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह भी खड़े किए।