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मुंबई। विद्या बालन ने ‘लगे रहो मुन्नाभाई’, ‘डर्टी पिक्चर’ और ‘पा’ जैसी हिट फ़िल्मों में काम किया है और बॉलीवुड के कई बेहतरीन अभिनेताओं के साथ काम किया है। लेकिन विद्या ने अभी तक किसी भी ‘ख़ान’ के साथ काम नहीं किया। एक कार्यक्रम में पत्रकारों ने उनसे जब यह सवाल पूछा तो उन्होंने अपनी उंगली से आसमान की तरफ़ इशारा करते हुए कहा,”सबसे बड़ा ख़ान मेरे साथ है। अल्लाह, ऊपरवाला, मौला जो आप कहना चाहें। मैं अपने आपको बहुत ख़ुशक़िस्मत मानती हूं क्योंकि आज के दौर में काम कर रही हूं जहां हिंदी सिनेमा जगत में अभिनेत्रियों के लिए जो रोल लिखे जा रहे हैं वो बहुत ही बेहतरीन हैं।”
विद्या कहती हैं, “मैं इस दौर में अच्छे लोगों के साथ काम कर रहीं हूं जिन्हें बतौर अभिनेत्री मुझ पर भरोसा है। इन सबकी वजह से मेरी फ़िल्में चलीं हैं और मुझे क़ामयाबी मिली है। आप कह सकते हैं कि पूरी क़ायनात जुट गई है मेरे लिए ताकि मैं अपना सपना जी सकूँ।”
बॉलीवुड में 60 और 70 के दशक की अभिनेत्रियों के करियर कई साल तक चले। वैजयंती माला, हेमा मालिनी और शर्मिला टैगोर जैसी अभिनेत्रियों ने बॉलीवुड पर काफ़ी लंबे समय तक अपनी पकड़ बनाए रखी। लेकिन आज के दौर में अभिनेत्रियां कई साल, नहीं बस चंद फ़िल्मों में अपना अभिनय दिखाकर ही ग़ायब हो जाती हैं, इस सबकी क्या वजह है? इस पर विद्या बालन कहती हैं, “जितने भी सितारे हों आसमान में, आसमान कम नहीं पड़ता! तो उस वजह से किसी की चकाचौंध कम नहीं होती।”
वे कहती हैं, “मुझे लगता है कि आज के दौर में हीरोइंस के करियर ज़्यादा चल नहीं पा रहे क्योंकि जब आपका कोई किरदार दर्शकों के बीच लोकप्रिय हो जाता है तो आपको उसी तरह के किरदार मिलने शुरू हो जाते हैं। इसका परिणाम ये होता है कि दर्शकों को आपसे बोरियत होने लगती है। तो शायद ये एक वजह हो सकती है आजकल की हीरोइंस के न चलने के पीछे।”
वे कहती हैं, “चाहे वो हेमा मालिनी हों, रेखा, वैजयंती माला या शर्मिला टैगोर हों, इन सबकी फ़िल्मों के अलावा निजी जीवन में भी काफ़ी मज़बूत शख़्सियत हुआ करती थी। उनकी एक अलग पहचान हुआ करती थी और वो उसी के हिसाब से फ़िल्मों में अभिनय किया करती थीं।”
विद्या आगे बताती हैं, “आज के दौर में हीरोइंस पर बहुत सारा दबाव होता है कि इस तरह के बाल होने चाहिए, इस तरह के कपड़े होने चाहिए और इससे उन अभिनेत्रियों का व्यक्तित्व कहीं खो सा गया है। मैंने भी ये कोशिश की साल 2007 में, लेकिन मुझे कई थप्पड़ पड़े और मैंने सीखा कि अपने आपको इसमें नहीं खोना चाहिए।”