देश में जनता के लिए बेहतरीन माहौल बनाने की कोशिशों और दावों के बीच लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं जो चिंता में डालती हैं। ताज़ा खबर आई है कि अभिनेत्री कैटरीना कैफ के बालों को मनवांछित रंग करवाने के लिए फिल्म निर्माता ने 55
अब ज़रा एक ख्याल ये भी आजमायें कि मान लीजिये बेटे को जगुआर लाकर दे
दी। आपका पैसा है आप जो चाहे करें। लेकिन अगर जनाब चाहते तो जिन पांच लाख से उसी कर के लिए नम्बर खरीदा, उनका उपयोग समाज के गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाई के लिए भी कर सकते थे। वीआईपी नम्बर नहीं लगने से जगुआर की शान में कोई कमी नहीं आती, लेकिन पांच लाख से 200 गरीब बच्चे एक साल तक पढ़ जाते। और ऐसे में जो तस्वीर अख़बारों में छपती वो ज्यादा गौरवान्वित करने वाली होती। इसी प्रकार कैटरीना के बाल रंगने के लिए प्रोड्यूसर महाशय लंदन का खर्च न उठाकार भारत में ही रंग करवाते तो भी ऐसा ही नज़ारा होता। 55 लाख में सैकड़ों किसानों को आत्महत्या करने से रोका जा सकता था। वह भी उसी महाराष्ट्र में जहां फिल्म शूट हो रही है। लेकिन ये भी तो बिडम्बना है कि जिस मीडिया के जिम्मे इस जागरूकता का काम है, वही इस तरह के सवाल उठाने के बजाये ऐसे कृत्यों को प्रोत्साहित करता नजर आता है।
मानव संसाधन मंत्रालय का एक सर्वेक्षण बताता है कि देश में 100 में से 19 बच्चे इसलिए स्कूल नहीं जा पाते, क्योंकि उनके पास किताबें और वर्दी खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। और वो भी तब जब सरकारी स्कूल में दसवीं तक पढ़ने के लिए हर वर्ष महज और महज अढाई हज़ार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। काश ऐसे धन्ना सेठों की नज़रें ऐसे बच्चों पर भी इनायत होती।
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