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भूखों- नंगों के देश में उनका हैसियत पर इठलाना

देश में जनता के लिए बेहतरीन माहौल बनाने की कोशिशों और दावों के बीच लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं जो चिंता में डालती हैं। ताज़ा खबर आई है कि अभिनेत्री कैटरीना कैफ के बालों को मनवांछित रंग करवाने के लिए फिल्म निर्माता ने 55

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लाख खर्च किये। दूसरी खबर चंडीगढ़ से है जहां एक व्यवसायी ने अपने पांच साल के बच्चे के कहने पर इसलिए एक करोड़ की जगुआर खरीदी, क्योंकि बच्चे ने पंजाबी गाने में जगुआर का जिक्र आने के बाद बाप से जगुआर खरीदने को कहा था। यही नहीं बाद में बच्चे की ही फरमाईश पर उसी गाड़ी के लिए पांच लाख खर्च कर 0001 नंबर भी खरीदा गया। और ऊपर से शर्मनाक बात यह कि एक बहुत बड़े अखबार ने बाप बेटे की इस उपलब्धि पर सचित्र महिमामंडन भी किया। दूसरी ओर ताज़ा सर्वेक्षण बताता है कि आज भी देश में आठ करोड़ लोग रोत को भूखे सोते हैं। इन सारी चीज़ों को मिलाकर देखें तो चिंता वाजिब है। देश में तमाम प्रयासों के बावजूद तेज़ी से आर्थिक विषमता की खाई रोज़ और ज्यादा बढ़ रही है।

अब ज़रा एक ख्याल ये भी आजमायें कि मान लीजिये बेटे को जगुआर लाकर दे

लेखक,संजीव शर्मा दैनिक न्याय सेतु के संपादक हैं।

दी। आपका पैसा है आप जो चाहे करें। लेकिन अगर जनाब चाहते तो जिन पांच लाख से उसी कर के लिए नम्बर खरीदा, उनका उपयोग समाज के गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाई के लिए भी कर सकते थे। वीआईपी नम्बर नहीं लगने से जगुआर की शान में कोई कमी नहीं आती, लेकिन पांच लाख से 200 गरीब बच्चे एक साल तक पढ़ जाते। और ऐसे में जो तस्वीर अख़बारों में छपती वो ज्यादा गौरवान्वित करने वाली होती। इसी प्रकार कैटरीना के बाल रंगने के लिए प्रोड्यूसर महाशय लंदन का खर्च न उठाकार भारत में ही रंग करवाते तो भी ऐसा ही नज़ारा होता। 55 लाख में सैकड़ों किसानों को आत्महत्या करने से रोका जा सकता था। वह भी उसी महाराष्ट्र में जहां फिल्म शूट हो रही है। लेकिन ये भी तो बिडम्बना है कि जिस मीडिया के जिम्मे इस जागरूकता का काम है, वही इस तरह के सवाल उठाने के बजाये ऐसे कृत्यों को प्रोत्साहित करता नजर आता है।

मानव संसाधन मंत्रालय का एक सर्वेक्षण बताता है कि देश में 100 में से 19 बच्चे इसलिए स्कूल नहीं जा पाते, क्योंकि उनके पास किताबें और वर्दी खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। और वो भी तब जब सरकारी स्कूल में दसवीं तक पढ़ने के लिए हर वर्ष महज और महज अढाई हज़ार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। काश ऐसे धन्ना सेठों की नज़रें ऐसे बच्चों पर भी इनायत होती।

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एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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