बिलासपुर। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों पर भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से हिमाचल प्रदेश को मिलने वाली अरबों रुपये की हिस्सेदारी बिलासपुर
उल्लेखनीय है कि साठ के दशक में भाखड़ा बांध बनने पर पूरा का पूरा बिलासपुर नगर गोबिंदसागर में जलमग्न हो गया था। झील का जल स्तर घटने पर प्राचीन मंदिरों के अवशेष आज भी सामने उभर आते हैं। भाखड़ा बांध बनने से पूरा देश बिजली से जगमगा उठा तथा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की भूमि सोना उगलने लगी, लेकिन विस्थापितों की पीड़ा को दूर करने की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। विस्थापितों की समस्या के समाधान के नाम पर प्रदेश की सभी सरकारों ने जम कर राजनीति की, लेकिन उनके हित में किया कुछ भी नहीं। परिमाम स्वरूप विस्थापन के 52 वर्ष बाद भी उनके पुनर्वास का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने एक फैसले में बीबीएमबी को आदेश दिया है कि बकाया रायल्टी की अरबों रुपये की राशि हिमाचल प्रदेश को दी जाए। इस फैसले से पीडि़त विस्थापितों में आशा की एक किरण जगमगा उठी है। हालांकि इसे लेकर विस्थापितों में एक आशंका भी है कि राजनीतिक दल कहीं पहले की तरह उनकी मांग को लंबे समय तक भुनाने के प्रयास में सारा खेल ही न बिगाड़ कर रख दे। बिलासपुर में हलवाई संतराम (61) कहते हैं कि विस्थापितों की इस मांग पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए और इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। बिलासपुर जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में भाखड़ा बांध विस्थापित बड़ी संख्या में हैं।
कांग्रेस नेता एवं जिला परिषद सदस्य होशियार सिंह ठाकुर विस्थापितों की इस मांग को लेकर सबसे अधिक मुखर हैं। वो कहते हैं कि बिलासपुर का पुराना ऐतिहासिक नगर गोबिंदसागर में डूबने के 52 वर्ष बाद भी यहां के लोग विस्थापन की पीड़ा झेल रहे हैं। इसलिए रायल्टी की बकाया राशि में से कुछ हिस्सा विस्थापितों के विकास के लिए मिलना ही चाहिए और इसके लिए पार्टी हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार है।
भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सुरेश चंदेल कहते हैं कि पंजाब पुनर्गठन कानून के तहत इस मामले में सुप्रीमकोर्ट ने हिमाचल को मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। धूमल सरकार ने हिस्सेदारी की बकाया 4250 करोड़ रुपये की मांग की है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि केंद्र सरकार इसे घटा कर 3400 करोड़ रुपये के करीब बता रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को भाखड़ा विस्थापितों का दर्द समझना चाहिए, जिन्होंने देश की खुशहाली के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस मामले में भाखड़ा विस्थापितों के हितों का मामला सरकार से उठाएंगे। रायल्टी में से कुछ भाग विस्थापितों के हितों पर खर्च किया जाना आवश्यक है।
हिमाचल लोकहित पार्टी के जिलाध्यक्ष दौलतराम शर्मा कहते हैं कि सरकार को विस्थापितों की कुर्बानी को याद करते हुए उनके जख्मों पर मरहम लगाना चाहिए। ‘मरहम’ आ गया है, बस लगाने की जरूरत है।
सीपीआई के पूर्व विधायक केके कौशल कहते हंै कि सरकार ने भाखड़ा विस्थापितों की हमेशा उपेक्षा ही की है। उन्हें जो प्लाट रहने को मिले, उनमें आज चार-चार परिवार रहने को मजबूर हैं। भाखड़ा बांध बनने के बाद विस्थापितों को गुमराह ही किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार को बीबीएमबी से मिलने वाली रायल्टी का एक हिस्सा विस्थापितों के विकास पर खर्च कर अपना प्रायश्चित करना चाहिए।
बीबीएमबी से मिलने वाली अरबों रुपये की बकाया राशि से भाखड़ा विस्थापितों की हसरतों को पर लग गए हैं। लोग इस चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों से यह पक्का वादा लेना चाहते हैं कि रायल्टी का एक हिस्सा उनकी पीड़ा दूर करने पर खर्च किया जाएगा।
बीबीएमबी से हिस्सेदारी पर भाखड़ा विस्थापित मुखर
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