कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी ‘आप’ के नेतृत्व को लेकर जंग के आसार बन गए हैं। कांगड़ा से
डा. राजन सुशांत को कांगड़ा से ‘आप’ का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है, जबकि देसराज शर्मा पिछले दो सप्ताह से मीडिया के सामने बार-बार कहते आ रहे थे कि सुशांत को तो पार्टी में भी शामिल नहीं किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि देसराज शर्मा जिस समय गत दिवस सोलन जिला के बद्दी में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कह रहे थे कि डा. सुशांत जैसे लोगों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है, ठीक उसी समय दिल्ली में उन्हें (डा. सुशांत को) विधिवत् पार्टी में शामिल करने और कांगड़ा से प्रत्याशी बनाने की प्रक्रिया चल रही थी।
पूर्व भाजपा नेता डा. राजन सुशांत पिछले कई वर्षों से राजनीति में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़े हुए हैं। यहां तक कि इस मामले में उन्होंने प्रदेश में अपनी ही पार्टी की सरकार को भी नहीं छोड़ा और उनके खिलाफ भी खुला विद्रोह कर डाला। भले इसके लिए उन्हें भाजपा से बाहर क्यों न होना पड़ गया। आम आदमी पार्टी को उनकी यही अदा पसंद आई और उन्हें पार्टी में शामिल कर कांगड़ा से प्रत्याशी बना दिया गया।
‘आप’ में शामिल होने के बाद पालमपुर (कांगड़ा) पहुंचे डा. सुशांत का समर्थकों ने ढोल नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान को और तेज करने का ऐलान करते हुए यह भी साफ किया कि पार्टी प्रदेश की चारों संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा करेगी।
उधर, देशराज शर्मा पार्टी में सुशांत की एंट्री पर विफर पड़े। मंडी में उन्होंने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए यह भी शिकायत की कि राजन सुशांत के किसी समर्थक ने उन्हें फोन पर जान से मारने की धमकी दी है। मंडी के पुलिस अधीक्षक से की शिकायत में कहा कि मंगलवार दोपहर उन्हें किसी व्यक्ति ने फोन कर कहा कि- राजन सुशांत कांगड़ा आ रहे हैं, उसके स्वागत के लिए आओ, नहीं तो तुझे मंडी में ही जान से मार देंगे। पत्रकारों के साथ बातचीत में देशराज का यह भी कहना था कि राजन सुशांत के ‘आप’ में शामिल होने को लेकर उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से कोई मेल नहीं आई है और न ही पार्टी में किसी सदस्य की कोई विशेष तौर पर स्वागत की प्रथा है। उन्होंने यह भी कहा कि सुशांत जैसे नेताओं की मनमानी सहन नहीं की जाएगी।
इसी दौरान यह भी सवाल उठाने लगे कि क्या देसराज शर्मा को आधिकारिक रूप से पार्टी का संयोजक बनाया भी गया है या नहीं ? लेकिन इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि देसराज ने पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में संगठन की गतिविधियां बढ़ाने के लिए दिन- रात मेहनत की है और हजारों लोगों को पार्टी से जोड़ा है। संभवतः इसी कारण उन्हें उम्मीद थी कि प्रदेश में संसदीय चुनाव उनकी देखरेख में होंगे और उनकी संस्तुति पर ही प्रत्याशियों के टिकट तय होंगे। लेकिन सुशांत के आने के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में प्रदेश नेतृत्व को लेकर पार्टी में गतिरोध बढ़ेगा।