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देहरादून। सेब के बेहतरीन स्वाद की बात हो तो अनायास ही हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र आंखों के सामने घूम जाते हैं। लेकिन अगर कोई देहरादून में उगा सेब चखने को कहे? तो जाहिर तौर पर इसे अविश्वास की नजरों से ही देखा जाएगा। क्योंकि देहरादून जैसे निचले एवं गर्म क्षेत्र में सेब के उत्पादन की अभी तक कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। लेकिन, जनाब यह सच है। और यह कर दिखाया है दून के किशन बहादुर गुरुंग ने। उनके घर पर इन दिनों सेब का एक पेड़ फलों से लदा हुआ है, जिसे देख लोग तो हैरान हैं ही, वैज्ञानिक भी इसे एक बड़ा आश्चर्य मान रहे हैं।
कैंट बोर्ड में कार्यरत किशन बहादुर गुरुंग बताते हैं कि उन्होंने चार वर्ष पूर्व शौकिया तौर पर ही एक नर्सरी से सेब के चार पौधे लाए थे, लेकिन उनमें से एक ही जीवित रहा। उन्होंने बताया कि दूसरे वर्ष से ही इस पेड़ ने फल देने शुरू कर दिए थे। हर वर्ष दस जून तक इसका फल पककर तैयार हो जाता है। हालांकि, इसका स्वाद हल्का खट्टा रहता है।
कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के प्रभारी डा. एसएस सिंह कहते हैं कि इस समय 18 सौ मीटर से कम ऊंचाई पर सेब का उत्पादन संभव ही नहीं है। सेब के लिए दिसंबर से पांच जनवरी तक तापमान 7 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे की आवश्यकता होती है। तभी मार्च में फूल आते हैं और अप्रैल में फल लग पाते हैं। उन्होंने कहा कि दून में सेब का फलना वास्तव में ही आश्चर्यजनक है। इसका अध्ययन किया जाएगा।
जिला उद्यान अधिकारी अमर सिंह कहते हैं कि शायद यह निचले इलाकों में लग सकने वाला अन्ना प्रजाति का सेब है। कुछ जगह लोग शौकिया तौर पर इसे अपने घरों में लगा लेते हैं। हालांकि, दून शहर में सेब का पौधा फलना वास्तव में ही आश्चर्यचनक है और यह एक अच्छी खबर है। उन्होंने कहा कि इस पर अनुसंधान करने की आवश्यकता है ताकि आने वाले समय में इसका व्यावसायिक तौर पर भी उत्पादन संभव हो सके।