सोलन। डॉ. वाइएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने सेब के पौधों में लगने वाले ‘रूट बोरर’ से निपटने के लिए विशेष प्रकार की फंगस और
रूट बोरर एक बीटल (भृंग) के अंडे से तैयार होता है। यह भृंग सेब के पौधे के तने के समीप अंडे देते हैं। एक बीटल एक समय में 300 से 400 अंडे देता है। यह अंडे पौधों की जड़ों के भीतर रह कर उसे नुकसान पहुंचाते हैं। बाहर से की जाने वाली केमिकल की स्प्रे या ड्रैंचिंग से भी यह बोरर नहीं मरते।
विश्वविद्यालय में आईसीएआर के को-ऑर्डिनेटिड प्रोजेक्ट की प्रिंसीपल इन्वेस्टीगेटर प्रो. ऊषा चौहान ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत एप्पल रूट बोरर पर शोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बायोलॉजीकल कंट्रोल से रूट बोरर की समस्या को हल किया जा सकता है। बीवेरिया बेसियाना और मेटाराइजम एनइसोपली नामक फंगस और दो ईपीएन निमाटोड को ग्रसित पौधों की जड़ों के पास मिट्टी में मिलाकर एप्पल रूट बोरर को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह फंगस रूट बोरर में इन्फेक्शन पैदा कर उन्हें खत्म कर देगी, जबकि निमाटोड रूट बोरर के शरीर में घुस कर उन्हें मार डालेगा। प्रो. ऊषा चौहान ने बताया कि इस तकनीक पर ट्रायल चल रहा है। ट्रायल पूरा होने के बाद यह तकनीक बागबानों को हस्तांतरित कर दी जाएगी।
‘एप्पल रूट बोरर’ से निपटेगी फंगस, ट्रायल शुरू
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