शिमला। ट्रेड यूनियनों और अन्य संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान पर प्रदेश के तमाम आंगनबाड़ी वर्करज एवं हेल्परज कल 8 जनवरी को हड़ताल करेंगे। सीटू से संबंद्ध आंगनबाड़ी वर्करज एवं हेल्परज यूनियन ने पूरे प्रदेश में इस हड़ताल का आयोजन किया है। कल प्रदेशभर में सभी आंगनबाड़ी कर्मी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरेंगे।
यूनियन की राज्य अध्यक्ष नीलम जसवाल ने कहा है कि इस दिन पूरे प्रदेश में आंगनबाड़ी कर्मियों द्वारा जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किए जाएंगे। हज़ारों आंगनबाड़ी कर्मी सड़कों पर उतर कर केंद्र व राज्य सरकार पर हल्ला बोलेंगे।
यूनियन की राज्य महासचिव राजकुमारी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार आंगनबाड़ी विरोधी कार्य कर रही है। सबसे पहले वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद इस सरकार ने आंगनबाड़ी के बजट को लगभग आधा कर दिया। उसके बाद वेदांता जैसी कम्पनी के हवाले आँगनबाड़ी को करने की साज़िश रची गयी। इस सरकार ने वर्ष 2013 में 45 वें भारतीय श्रम सम्मेलन में यूपीए सरकार द्वारा की गई आंगनबाड़ी कर्मियों को मजदूर का दर्जा देने व न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करने की घोषणा को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। इस सरकार ने लगातार आंगनबाड़ी व समेकित बाल विकास योजना को कमज़ोर करने की साज़िश की है। इसका एक बड़ा उदाहरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर करके आंगनबाड़ी के बजट से पैसे को अभिभावकों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने की इजाज़त मांगना भी है। उन्होंने कहा कि यह सरकार देश में कार्यरत पच्चीस लाख कर्मियों के रोजगार पर कुल्हाडी चलाने की मंशा पाले हुए है जिसे किसी भी सूरत में सफल नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार भी पूर्णतः आंगनबाड़ी विरोधी है व पूरे देश में सबसे कम वेतन देती है। केरल व हरियाणा जैसी सरकारें कर्मियों को हिमाचल की तुलना में दोगुना वेतन देती हैं। पॉन्डिचेरी में आंगनबाड़ी कर्मी रेगुलर कर्मचारी हैं। महाराष्ट्र जैसी सरकार कर्मियों को ग्रेच्युटी आदि का प्रावधान करती है। देश की कई सरकारें कर्मियों को पेंशन सुविधा भी देती हैं। हिमाचल प्रदेश में यह कोई भी सुविधा मौजूद नहीं है। प्रदेश में कर्मियों का भारी शोषण किया जा रहा है। कर्मियों से दो दर्जन काम लेने के बावजूद भी उन्हें न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जाता है। प्रदेश में प्री नर्सरी में आंगनबाड़ी की अनदेखी की जा रही है जबकि यह कार्य प्राथमिकता पर उनको ही मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों, गर्भवती व धातृ महिलाओं का पालन-पोषण करने वाली प्रदेश की आंगनबाड़ी कर्मी स्वयं कुपोषित हैं। उन्हें नेशनल रूरल हेल्थ मिशन द्वारा कार्य की एवज में दी जाने वाली करोड़ों रुपयों की राशि आबंटित नहीं कि जा रही है। उन्होंने कहा कि आठ जनवरी की हड़ताल पूरे प्रदेश में ऐतिहासिक होगी। इस दिन हज़ारों आंगनबाड़ी कर्मी सड़कों पर उतरकर अपने आंदोलन को तेज करेंगे व अपने नियमितीकरण तथा बारह हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर लामबंद होंगे।