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‘झगड़ू’, जिसने ग्रामीणों को कभी चैन से नहीं बैठने दिया

मंडी। मंडी जिला में चौहार घाटी के काणग गांव का ‘झगड़ू’ दूर-दूर तक विख्यात है। ‘झगड़ू’ ने

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रियासतकाल से लेकर आज तक गांव के दस परिवारों को कभी चैन से नहीं बैठने दिया। ग्रामीणों ने इस सौ वर्षीय ‘झगड़ू’ की कई बार विभिन्न तरीकों से हत्या की कोशिशें भी कीं, लेकिन उसका बाल भी बांका नहीं हुआ। यह ‘झगड़ू’ कोई और नहीं बल्कि अखरोट का एक विशालकाय वृक्ष है, जिसका तना और टहनियां दस परिवारों की भूमि पर पसरे हुए हैं और सभी इसके मालिकाना हक के लिए पिछले कई दशकों से आपस में झगड़ रहे हैं। इसी कारण इस वृक्ष का नाम ‘झगड़ू’ पड़ा ।

अखरोट के इस पेड़ और उसके फलों पर मालिकाना हक के लिए 10 परिवारों में कई बार खूनी भी संघर्ष हुआ। मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंचा। रोज-रोज के संघर्ष से दुखी लोगों ने कई बार पेड़ को विस्फोट से उड़ाने की कोशिश की तो कई बार मिट्टी का तेल छिड़क कर आग के हवाले करने की। एक बार तो इसकी जड़ों में तेजाब डाल कर पेड़ को सुखाने का भी प्रयास हुआ, लेकिन उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका। करीब 40 फुट ऊंचे ‘झगड़ू’ के तने का व्यास करीब 10 फुट है और इसकी टहनियां काफी दूर-दूर तक फैली हैं। इस पेड़ पर कई-कई क्विंटल अखरोट लगते हैं।

राजा की अदालत में 25 साल चला मुकद्दमाः रियासत काल में ‘झगड़ू’ को लेकर राजा की अदालत में भी मामला चला था। करीब 25 साल तक राजा की कचहरी में मुकदमा चला। कोई भी पक्ष अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं था। अंत में राजा की अदालत ने फैसला सुनाया कि अखरोट के पेड़ की टहनियां जिसके खेत पर है, वहां से अखरोट तोड़ने का अधिकार उसी है। जिसके खेत में यह पेड़ है, वह भी अपने खेत की ओर की टहनियों से ही अखरोट निकाल सकता है। इसके अलावा एक और भी व्यवस्था की गई कि जो व्यक्ति पेड़ पर चढ़ कर अखरोट निकालेगा, उसे पारिश्रमिक के रूप में 400 अखरोट दिए जाएंगे। ग्रामीण इस फैसले से संतुष्ट तो नहीं हुए परंतु आज भी गांव में यही व्यवस्था कायम है।

काणग गांव के वासी सुभाष ठाकुर, लाल सिंह ठाकुर, हरी राम ठाकुर, शेरसिंह ठाकुर, नेत्रसिंह, दीवान, सरवण आदि ने बताया कि इस पेड़ की जड़ें करीब 50 मीटर नीचे रोपा नाले तक फैली हुई हैं। इसके तने के बीच करीब आठ फुट गहरा गड्ढा बन गया है, जिसमें सारा साल पानी भरा रहता है। इससे यह पेड़ कभी सूखता नहीं है। झगड़ू दस परिवारों के खेतों में फैला हुआ है।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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