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तपोवन में विधानसभा सत्र एक अर्थहीन कवायद

धर्मशाला। अंततः विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी बुटेल ने भी स्वीकार

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कर लिया कि हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला (तपोवन) में बनाया गया विधानसभा भवन सफेद हाथी ही साबित हुआ है। सात करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस भवन का उद्घाटन 25 दिसंबर 2006 को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के हाथों हुआ था। पहले से ही कहा जाने लगा था कि यह फिजूलखर्ची केवल राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है और इसका आम जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा। अंततः हुआ भी वही। कांगड़ा- चंबा की जनता, जिसे लुभाने के लिए यह सारा तामझाम किया गया, ने भी धर्मशाला में विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया। पिछले नौ वर्षों में मुश्किल से 30- 32 दिन ही इस भवन का उपयोग हो पाया होगा, जबकि इसके रख रखाव पर ही सालाना लाखों रुपये खर्च आता है।

विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, तपोवन स्थित विधानसभा भवन परिसर का फायदा तभी है जब इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो। उन्होंने कहा कि वर्ष में सिर्फ दो- चार दिन विधानसभा सत्र आयोजित होने से इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है।

उल्लेखनीय है कि तपोवन में एक सेशन आयोजित करने पर 60 से 70 लाख रुपये खर्च आते हैं। मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों सहित पूरी सरकार को शिमला से धर्मशाला स्थानांतरित करना पड़ता है। चहेते मीडिया को भी साथ ढोना पड़ता है। बीते कुछ वर्षों के आकलन में पाया गया कि इस खर्चीली कवायद का वहां की जनता को कोई लाभ नहीं मिला। स्थानीय समस्याओं की सुनवाई के नाम पर मात्र औपचारिकताएं ही निभाई जाती रही हैं।

हिमाचल प्रदेश में ऊपरी हिमाचल व निचला हिमाचल, शिमला व कांगड़ा तथा सेब व किन्नू के नाम पर खूब राजनीति होती रही है। धर्मशाला में शीतकालीन सत्र इसी दूरी को पाटने का एक असफल प्रयास था। इसके लिए जम्मू- कश्मीर का उदाहरण सामने रखा गया। इस बात को नजरंदाज किया गया कि इस मामले में हिमाचल प्रदेश और जम्मू- कश्मीर की परिस्थितियां समान नहीं हैं। जम्मू से श्रीनगर की दूरी बहुत अधिक है। श्रीनगर (कश्मीर) में बहुत बर्फ गिरती है और ठंड भी बहुत होती है। ऐसे में वहां दो विधानसभा परिसर होना गलत नहीं है। लेकिन शिमला और धर्मशाला में दूरी इतनी ज्यादा नहीं है और ठंड भी लगभग बराबर ही पड़ती है। जम्मू- कश्मीर में दो विधानसभा सत्र भौगोलिक परिस्थितिवश एक मजबूरी है, जबकि हिमाचल प्रदेश में यह मात्र राजनीतिक मजबूरी।

एच. आनंद शर्मा

H. Anand Sharma is active in journalism since 1988. During this period he worked in AIR Shimla, daily Punjab Kesari, Dainik Divya Himachal, daily Amar Ujala and a fortnightly magazine Janpaksh mail in various positions in field and desk. Since September 2011, he is operating himnewspost.com a news portal from Shimla (HP).

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