प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद यहां सैलानी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। यही कारण है जो वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2011 में यहां 47 हजार सैलानी अधिक पहुंचे हैं। पर्यटन विभाग के सूचना अधिकारी बीसी त्रिवेदी के मुताबिक यहां पिछले साल जून में सर्वाधिक सैलानी पहुंचे हैं। यह आंकड़ा 2,64,318 रहा, जबकि फरवरी माह में सबसे कम मात्र 26,552 सैलानी पहुंचे। इसी प्रकार गत वर्ष यहां जनवरी में 46,262, मार्च 30,468, अपै्रल 48,862, मई 1,03,789, जुलाई 77,847, अगस्त 54,091, सितंबर 50,210, अक्टूबर 64,018, नवम्बर 33,010 तथा दिसंबर में 34,978 सैलानी भ्रमण के लिए पहुंचे। इसी क्रम में सर्वाधिक 1450 विदेशी सैलानी अपै्रल माह में पहुंचे, जबकि सबसे कम 403 विदेशी सैलानी अगस्त में मात्र पहुंचे। पूरे वर्ष में कुल 9410 विदेशी सैलानी यहां आए, जोकि वर्ष 2010 की तुलना में 2288 अधिक हैं। इससे पूर्व वर्ष 2007 में यही आंकड़ा 9437 का था। त्रिवेदी के अनुसार नैनीताल में साल दर साल 8 से 10 फीसदी पर्यटकों की आमद बढ़ रही है। वर्ष 2009 में 7,49,556, वर्ष 2008 में 6,15,469, वर्ष 2007 में 5,80,079 और वर्ष 2006 में 5,54,527 सैलानी यहां पहुंचे। अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही यहां सैलानियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
होटल व्यवसायी और कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ के महासचिव ओम प्रकाश मैद कहते हैं कि इस बार यहां पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या में काफी वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि यहां सैलानियों के लिए आवश्यक सुविधाओं में वृद्धि की जाए तो सरोवर नगरी नैनीताल सैलानियों की स्वर्ग बन सकता है। उनके अनुसार इसके लिए महानगरों से रेलवे कनेक्टिविटी बढ़ाने और प्रचार के लिए सार्थक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
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