मंडी। हिमाचल प्रदेश में दूध के दामों में बढ़ोतरी के लिए आंदोलन कर रहे किसानों को सरकार ने बड़ा झटका दे दिया। सरकारी उपक्रम मिल्कफेड ने भैंस के दूध के दामों में 4.81 रुपये प्रति लीटर कटौती कर दी है। यही नहीं दुग्ध उत्पादकों से की जाने वाली इस कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को भी नहीं दिया जाएगा। मिल्कफेड बाजार में उपभोक्ताओं को पहले से तय 40 रुपये प्रति लीटर की ही दूध बेचेगा।
राज्य के किसानों में सरकार के इस फैसले के प्रति भारी रोष है। सीपीआई-एम के पूर्व राज्य सचिव एवं ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने इस कदम को सरकार की गुंडादर्दी करार दिया है और कहा है कि इस सरकार ने एकबार फिर स्वयं को किसान विरोधी साबित कर दिया। हिमाचल किसान सभा ने दूध के दामों में कटौती के विरोध में 24 दिसंबर को शिमला जिला के प्रगतिनगर में राज्य स्तरीय रोष प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला लिया है।
राज्य मिल्क फेडरेशन के चेयरमैन निहालचंद शर्मा ने इस संबंध में पूछने पर कहा कि- ‘भैंस के दूध के मूल्य में यह कटौती पंजाब पैटर्न पर की गई है। फेडरेशन पहले भी पंजाब की तर्ज पर दूध की कीमत उत्पादकों को देता आ रहा है। पशुपालकों से मिल्कफेड अब 34.33 रुपये के बजाए 29.52 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध खरीदेगा। हालांकि उपभोक्ताओं को मिल्कफेड बाजार में पहले से ही तय 40 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध बेचेगा।’
मंडी जिला में पधर क्षेत्र की डलाह पंचायत के प्रधान केहर सिंह, कुन्नु के प्रधान प्रेम सिंह, उप प्रधान हरदेव ठाकुर, कुफरी के प्रधान ओम प्रकाश, भड़वाहन के प्रधान जिंतेंद्र, बड़ीधार के प्रधान सोहन सिंह, पाली के उपप्रधान पवन कुमार, सियून के प्रधान पदम सिंह, शिलग के प्रधान राजेंद्र कुमार समेत दुग्ध उत्पादक वीरेंद्र चौहान, इंद्र सिंह ठाकुर, दीपक चौहान और छज्जूराम आदि ने कहा कि मिल्कफेड के इस फैसले से दुग्ध उत्पादक बर्बाद हो जाएंगे। दूध की उत्पादन लागत बढ़ने से पहले ही किसान परेशान हैं और सरकार से दूध के दाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने समस्या का समाधान करने के बजाए उन पर कुठाराघात ही कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि सरकारी उपक्रम के इस फैसले के बाद 10 लीटर दूध बेचने वाले किसान को प्रतिदिन 50 रुपये का नुकसान होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री जय़राम ठाकुर से यह निर्णय तुरंत वापस लेने की मांग की है।