शिमला। उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता को लेकर केंद्र सरकार की पुरजोर सक्रियता ने हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यहां भी भाजपा ने वीरभद्र सरकार के गिरने की भविष्यवाणियां शुरू कर दी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल का तो यहां तक कहना है कि यह सरकार इसी बजट सत्र में गिर सकती है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुली चुनौती दे रहे हैं कि- “हिम्मत है तो सरकार गिराकर दिखाओ।”
वीरभद्र सिंह आय से अधिक संपत्ति और मनीलांड्रिंग के एक पुराने मामले का सामना कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में इस मामले में वीरभद्र सिंह की करीब 8 करोड़ रुपये की संपत्ति को सीज भी किया है। इस पर भाजपा के कुछ उत्साही नेताओं ने प्रचार शुरू कर दिया कि ईडी का अगला कदम वीरभद्र सिंह की गिरफ्तारी ही होगा, जिस कारण यह सरकार कभी भी गिर सकती है। प्रो. प्रेम कुमार धूमल का कहना है कि यहां उत्तराखंड की तर्ज पर वीरभद्र सरकार गिरेगी। लेकिन वीरभद्र सिंह आत्मविश्वास के साथ विपक्ष के हर सवाल का जवाब दे रहे हैं। शायद धर्मशाला नगर निगम में कांग्रेस की एकतरफा जीत ने भी मुख्यमंत्री का हौसला बढ़ाया है।
केंद्र की मोदी सरकार पर पिछले काफी समय से कांग्रेस शासित राज्यों के प्रति टेढ़ी नजर रखने के आरोप लग रहे हैं। पहले अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार का तख्ता पलट हुआ, फिर उत्तराखंड में अस्थिरता और उसके बाद मणिपुर में उथलपुल का दौर। आशंका जताई जा रही है कि केंद्र का अगला निशाना हिमाचल की कांग्रेस सरकार हो सकती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी आशंकित हैं और कहते हैं – “गैर भाजपा शासित राज्यों के प्रति केंद्र के रवैये को देखते हुए लगता है कि मोदी दिल्ली में भी राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं।”
केंद्र सरकार ने हाल ही में उत्तराखंड में धारा 356 का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति शासन लागू किया था। नैनीताल हाईकोर्ट की एकल बैंच ने इस पर रोक लगाकर सरकार को फ्लोर टेस्ट की इजाजत दी तो केंद्र सरकार ने डबल बैंच में इसके खिलाफ याचिका दायर कर दी, जिस पर डबल बैंच ने एकल बैंच के फैसले पर रोक लगा दी। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद में उत्तराखंड को लेकर कोई अध्यादेश लाने की भी तैयारी कर रही है। एक छोटे से राज्य पर केंद्र सरकार की इस कदर सक्रियता शायद पहले कभी नहीं देखी गई।
इन्हीं कारणों से हिमाचल प्रदेश में भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं केंद्र सरकार यहां भी कांग्रेस सरकार का तख्ता पलट की कोशिश न करे। यहां सभी जानते हैं कि कांग्रेस सरकार में अनेक मंत्री व विधायक वीरभद्र सिंह के विरोधी हैं, लेकिन फिलहाल इनकी संख्या इतनी नहीं है कि वे दल बदल कानून की शर्तों को पूरा कर सकें। कानूनी जानकारों के अनुसार फिलहाल वीरभद्र सिंह को गिरफ्तार करना भी ईडी के लिए आसान नहीं है। इसके लिए उसे अभी काफी कानूनी पेचीदगियों के गुजरना पड़ेगा। लेकिन केंद्र का दबाव हो तो सरकार में अस्थिरता तो पैदा की ही जा सकती है। उत्तराखंड में भी तो यही कुछ हुआ है।
लेखक, एच. आनंद शर्मा himnewspost.com के संपादक हैं।