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पिथौरागढ़। उत्तराखंड में सामाजिक चेतना का स्तर हमेशा से ही उच्च आंका गया है। यह शायद इसी कारण संभव हो पाया है जो पिथौरागढ़ जिले में सेना की पहल पर आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस पर लोगों ने मात्र 20 मिनट में एक लाख पौधों का रोपण कर डाला। अब इसे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज कराने की तैयारी चल रही है ताकि पहाड़ीजनों का यह कारनामा पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सके।
उत्तराखंडी जनता का पर्यावरण प्रेम विश्व विख्यात है। यहां की महिलाओं ने अनेक बार वन माफिया से सीधी टक्कर लेकर सफल आंदोलन लड़े। ‘चिपको आंदोलन’ की मिसाल तो पूरे विश्व में दी जाती रही है, जिसमें वनों की रक्षा के लिए महिलाएं स्वयं वृक्षों से लिपट गई थीं। विवाह जैसे अवसरों पर पौध रोपण की परंपराएं यहीं से शुरू हुईं । यहीं पर वह अनूठी परंपरा भी देखने को मिली है, जिसमें ग्रामीण सामुहिक श्रम से वन तैयार कर उन्हें सुरक्षा के लिए स्थानीय देवताओं के हवाले कर देते हैं ताकि देव भय से माफिया वनों को नुकसान न पहुंचा सके।
विश्व पर्यावरण दिवस पर पिथौरागढ़ जिले में इस वर्ष सेना की पहल पर स्कूलों और विभिन्न संगठनों ने मिलकर बीस मिनट में एक लाख पौधों का रोपण कर सबको हैरान कर दिया। विकास खंड विण के ग्यारहदेवी तोली गांव में मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्य सचिव एन. रविशंकर ने अमरूद का पौधा लगाकर कार्यक्रम की शुरूआत की।
इस अवसर पर विभिन्न स्कूलों के छह हजार बच्चों, सेना के जवानों, ग्रामीणों, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर पौध रोपण किया और एक नया रिकार्ड बना डाला। मुख्य सचिव ने इस अवसर पर कहा कि मात्र बीस मिनट में एक लाख पौधे लगाना एक बड़ी उपलब्धि है। ऐसे प्रयासों से ही पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि पौध रोपण के साथ ही उसकी सुरक्षा भी बेहद महत्वपूर्ण है।
जिलाधिकारी सुशील कुमार शर्मा ने इस अभियान के लिए सेना की भरपूर सराहना की। सेना मुख्यालय लखनऊ से आए बिग्रेडियर केपी सिंह ने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए सेना द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और उपस्थित जनसमुदाय का आह्वान किया कि जिले की सभी पहाड़ियों को हरा भरा बनाने के लिए इसी तरह एकजुट होकर कार्य करें। सेना की पर्यावरण बटालियन के कमांडिंग आफिसर कर्नल नंदू कुमार बीएन ने सहयोग के लिए सभी का आभार जताया। इस कार्यक्रम में सेना और सिविल प्रशासन के अनेक अधिकारी मौजूद थे।