टिहरी गढ़वाल। प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज पहाड़ी राज्यों में इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं
वर्ष 2008 में मसूरी वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ एके बनर्जी ने धनोल्टी में दो पार्क बनवाकर उनमें पर्यटकों के विश्राम करने और मनोरंजन की सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं। पार्क की देख-रेख व संचालन के लिए इको पर्यटन विकास समिति का गठन किया गया। इसके बाद क्षेत्र के पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं को समिति से जोड़ा गया। समिति के माध्यम से आज यहां प्रत्यक्ष रूप से स्थानीय 24 लोगों को रोजगार मिला हुआ हैं, जबकि अन्य पर्यटनीय गतिविधियों से अप्रत्यक्ष रूप से भी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है।
धनोल्टी में कुछ वर्ष पूर्व तक जंगलों के सिवा कुछ नहीं था, लेकिन आज यहां पर्यटकों के घूमने के लिए पार्क, खेल मैदान, रहने के लिए बैंबू हट, प्रदर्शनी हाल, स्मृति वन, वन शिल्प कुटीर और मनोरंजन व खाने के सभी साधन उपलब्ध हैं। पिछले छह वर्षों में साढ़े छह लाख से अधिक पर्यटक आ चुके हैं। इससे समिति को करीब 1. 67 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। इस आमदनी में से 40 प्रतिशत कार्यकर्ताओं का वेतन, 30 प्रतिशत अनुरक्षण, मरम्मत और 20 प्रतिशत राजस्व के रूप में वन विभाग को दिया जाता हैं। इसके अलावा 10 प्रतिशत धनराशि सामाजिक गतिविधियों एवं प्रचार प्रसार पर खर्च की जाती है। किसी भी क्षेत्र में इको टूरिज्म के लिए यह एक आदर्श स्थिति है।
पर्यटन स्थल धनोल्टी में पॉलीथिन पर पूरी तरह पाबंदी है। यहां पर्यटकों को प्रकृति से जुड़ी जानकारी भी दी जाती है। खास बात यह है कि समिति की आय व खर्चे का लेखा जोखा बहुत ही पारदर्शी है। इसी कारण समिति को गत वर्ष यूथ आइकान अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
इको पर्यटन विकास समिति के सचिव रघुवीर सिंह रमोला कहते हैं, ‘‘उत्तराखंड में इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। इसमें पर्यावरण का संरक्षण करते हुए पर्यटकों को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। पर्यटक प्रकृति का करीब से आनंद उठाने के अतिरिक्त पर्यावरण की शिक्षा भी ग्रहण करते हैं। स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी यह कारगर प्रयोग है। ’’