दिल्ली। तमिलनाडु के स्कूली शिक्षा विभाग ने एक परिपत्र जारी करके शिक्षकों से कहा है कि वे शालीन कपड़ों में आएं जो उनके पेशे और संस्कृति से मेल खाते हों। चेन्नई स्थित वरिष्ठ पत्रकार केवी लक्ष्मणन ने बताया कि रजनीकांत और दूसरी फिल्मी हस्तियों के तौर-तरीकों के बच्चों पर पडऩे वाले असर को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु सरकार ने पिछले साल भी एक परिपत्र जारी किया था। उनसे जब पूछा गया कि क्या तमिलनाडु के स्कूलों में शिक्षिकाओं के स्कर्ट या तंग कपड़े पहनने की वजह से कोई विवाद पैदा हुआ है तो उन्होंने कहा कि ये आदेश सिर्फ महिला शिक्षकों के लिए नहीं है, ये पुरुष शिक्षकों पर भी उतना ही लागू होता है।
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उन्होंने बताया कि तमिलनाडु सरकार ने इसे ‘यूनिफॉर्म’ के तौर पर लागू नहीं किया है, लेकिन संस्कृति का हवाला देते हुए ये जरूर कहा गया है कि शिक्षक ऐसे कपड़े न पहनें जिनका बच्चों पर बुरा असर पड़ता हो।
तमिलनाडु स्नातक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सतीश अम्बुजाद का कहना है कि शिक्षकों के लिए ड्रेस-कोड होना अच्छी बात है और यह अनिवार्य भी होना चाहिए। वे इसकी वजह बताते हैं कि बच्चे अपने शिक्षक का अनुसरण करते हैं। ये ऐसा है जैसे शिक्षक ओरिजनल कॉपी है तो बच्चे उसकी जेरॉक्स कॉपी होते हैं। वे इस कदम का स्वागत करते हुए कहते हैं कि ओरिजनल कॉपी यदि अच्छी नहीं होगी तो जेरॉक्स कॉपी का खराब निकलना तय है।