शिमला। राजधानी शिमला के नजदीक कच्ची घाटी में वीरवार दोपहर एक बहुमंजिला भवन भूस्खलन के कारण देखते ही देखते ढह गया। प्रशासन ने समय रहते भवन को खाली करा दिया था, जिस कारण कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। भवन के साथ ही उसमें रह रहे किरायेदारों का लाखों रुपये का सामान भी नष्ट हो गया। भवन के नीचे मजदूरों के कुछ ढारे भी बने हुए थे, जो सभी दब गए।
शिमला में कच्ची घाटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में भवनों का असुरक्षित बेतरतीव निर्माण हमेशा से चर्चा में रहा है। कच्ची घाटी का नामकरण ही क्षेत्र में भूमि की हल्की एवं भुरभुरी बनावट के कारण हुआ है। ऐसी भूमि बहुमंजिला भवनों के निर्माण के लिए खतरनाक होती है। उसके बावजूद प्रशासन की लापरवाही के कारण वहां धड़ाधड़ा असुरक्षित भवनों का निर्माण हुआ है। वीरवार को धराशायी होने वाला भवन भी सात मंजिला था, जबकि शहर में चार मंजिलों से अधिक बड़ा भवन बनाने की इजाजत नहीं है।इस भवन के गिरने से इसके साथ लगते कुछ अन्य भवनों को भी खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने उन्हें भी खाली करवा दिया है।
शिमला जिला में इस वर्ष भारी वर्षा के कारण जगह-जगह भूस्खलन के कारण सड़कों एवं भवनों को भारी नुकसान हुआ है। कच्ची घाटी में भी वर्षा के कारण इस भवन के आसपास लगातार भूस्खलन हो रहा था, जिस कारण भवन की नींव खाली हो गई थी।
प्रशासन ने सूचना मिलते ही तुरंत भवन को खाली कराया। आसपास के भवनों को भी एहतियात के तौर पर पहले ही खाली करा दिया गया था। प्रशासन की पूरी टीम के साथ दमकलें भी मौके पर पहुंच गई थीं। मकान की नींव के नीचे से भूमि लगातार खिसकती जा रही थी और फिर देखते ही देखते भवन भारी गर्जना के साथ धराशाई हो गया। आसपास के भवनों को फिलहाल कोई नुकसान होने की सूचना नहीं है। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है।